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कोस्टल रोड को लगा जीएसटी का फटका : परियोजना की लागत हुई १३,०६० करोड़ रुपए; केंद्र की गलत नीतियों पर उठने लगे सवाल

रामदिनेश यादव / मुंबई
मुंबई मनपा की महत्वाकांक्षी कोस्टल रोड परियोजना के निर्माण में वैसे तो असंख्य चुनौतियां आई हैं। लेकिन अब केंद्र की ढुलमुल नीतियों के कारण एक नई चुनौती आई है। इस परियोजना की लागत में ३३९.३२ करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। इस परियोजना पर काम करनेवाली कंपनियों ने जीएसटी स्लैब बदलाव से वृद्धि की अतिरिक्त रकम भरने से इनकार किया है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों और जीएसटी स्लैब बदलने से कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई अब मजबूरन मनपा को करना होगा। ऐसे में केंद्र की गलतियों का खामियाजा मनपा को भुगतना पड़ेगा।
बता दें कि वर्ष २०१८ में जब परियोजना शुरू हुई थी, तब १२ प्रतिशत जीएसटी लगाया गया था। लेकिन वर्ष २०२२ तक जीएसटी के स्लैब में कई बदलाव किए गए। अब कोस्टल परियोजना का काम १८ प्रतिशत जीएसटी के स्लैब में आया है। जीएसटी स्लैब ६ प्रतिशत बढ़ने से इस परियोजना के काम में ३३०.३२ करोड़ रुपए जीएसटी रकम बढ़ गई है। नियम के अनुसार इस काम में शामिल तीनों कंपनियों को छह प्रतिशत का अतिरिक्त भुगतान करना चाहिए, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, इन कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एलएंडटी कंपनी प्रियदर्शिनी पार्क से बड़ौदा पैलेस तक कोस्टल रोड का निर्माण कर रही है। इसी तरह एचसीसी और एचडीसी कंपनियां बड़ौदा पैलेस से बांद्रा-वर्ली सी लिंक तक का रोड बना रही हैं और उसके आगे फिर से एलएंडटी आखिरी हिस्से का निर्माण कर रही है। मेगा प्रोजेक्ट में शामिल कंपनियों पर जीएसटी की अतिरिक्त रकम भरने को लेकर भारी दबाव है। इसके चलते कोस्टल रोड की कुल लागत १२,७२१ करोड़ रुपए से बढ़कर १३,०६० करोड़ रुपए हो गई है। इसमें एक पाइपलाइन को शिफ्ट करने के लिए ६.९४ करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि भी शामिल है। कंपनियों ने प्रोजेक्ट के रास्ते में आ रही पानी की पाइपलाइन को शिफ्ट करने के लिए यह अतिरिक्त पैसा मांगा है।
क्या है परियोजना?
इस परियोजना को चार फेज में पूरा किया जा रहा है। कुल १०.४ किमी लंबे इस पहले चरण के प्रोजेक्ट का काम लगभग ८० प्रतिशत पूरा हो गया है। मरीन ड्राइव के प्रिंसेस स्ट्रीट फ्लाईओवर से बांद्रा-वर्ली सी लिंक के वर्ली छोर तक सड़क बनाई जा रही है। कोस्टल रोड के तहत मालाबार हिल में १०-१२ मीटर और समंदर में ७० मीटर की गहराई तक जुड़वां सुरंगें बनाई गई हैं। मनपा ने मावला नामक देश की सबसे बड़ी टीबीएम को यहां सुरंग खुदाई के लिए काम पर लगाया है, जिसका व्यास १२.२ मीटर है। इसके लिए अब कुल १३,०६० करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो रहा है। मरीन लाइन से वर्ली के बीच चालकों को इससे ७० प्रतिशत समय और ३४ प्रतिशक्त ईंधन की बचत होगी।

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