कमल कांत उपमन्यु
तीन लोक से न्यारी भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ा, लीला और जन्मस्थली कही जाने वाली मथुरा नगरी में राजनीतिक भूचाल सा मचा हुआ है। यह भूचाल हेमा मालिनी के सहजता पूर्ण दिए गए बयान से मचा है। यहां रालोद और भाजपा के परस्पर मिलन की भी चर्चा है, जिसके चलते अगर दोनों में गठबंधन होता है तो मथुरा सीट रालोद के खाते में जाएगी और अब मथुरा से रालोद मुखिया जयंत चौधरी या उनकी धर्मपत्नी चारु चौधरी भाजपा रालोद गठबंधन के प्रत्याशी हो सकते हैं। वैसे चर्चा यहां कंगना रनौत के भी भाजपा उम्मीदवार बनने की भी है। इसका मतलब यहां से वर्तमान भाजपाई सांसद हेमा मालिनी का पत्ता कटना तय है।
दरअसल, जिले की भाजपा सांसद एवं प्रख्यात सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी से अनजाने में एक सियासी चूक हो गई। कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के संसद में फ्लाइंग किस के मामले में हेमा मालिनी का सहजता पूर्ण बयान उनके लिए राजनीतिक भविष्य के लिए खतरा बन गया है। हाईकमान खेमे में हेमा के इस बयान से नाराजगी है, विशेषकर स्मृति ईरानी में। हेमा ने सहजता से कह दिया कि राहुल गांधी की फ्लाइंग देने की घटना को उन्होंने नहीं देखा। बस क्या था, विरोधी दलों ने खासा हाईलाइट किया और मीडिया ने भी इसे खूब उछाला, जिससे हाईकमान हेमा के बयान से नाराज हो गया है।
उल्लेखनीय है कि गत चुनावों में हेमा मालिनी ने दोबारा सांसद का चुनाव लड़ते हुए यह एलान कर दिया था कि वो आखिरी बार चुनाव लड़ रही हैं। यह उनका अंतिम चुनाव है। वो आगे चुनाव नहीं लड़ेंगी। हेमा मालिनी द्वारा चुनाव न लड़ने के पूर्व में दिए बयान के बाद हाईकमान में मथुरा की टिकट पर किसे लड़ाया जाए इसकी चर्चा हुई। हेमा की जगह सिने कलाकार कंगना रनौत का नाम चर्चा में आया। खास बात ये है कि कंगना ठाकुर भी हैं और अभिनेत्री भी इसलिए उनसे कहा गया कि आप हेमा की जगह मथुरा में तैयारी करें। आपको मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़ाया जाएगा। कंगना यहां मथुरा में एक बार नहीं दो बार दर्शन के बहाने आईं बिहारी जी के दर्शन किए और बरसाना भी गईं। चर्चा तो यहां तक है कि उन्होंने अपने वैंâप कार्यालय के लिए एक बिल्डिंग को भी हायर किया, किंतु बाद में उनका मन महाराष्ट्र या हिमाचल से किसी अन्य स्थान से चुनाव लड़ने का बना और मथुरा से कम लगाव दिखा।
हालांकि, अब हेमा मालिनी ने अपना इरादा बदल लिया है। अब वो मथुरा से फिर चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं और इस बारे में उन्होंने हाईकमान एवं अपने करीबियों को भी बता दिया है। वो तीसरी बार मथुरा से ही चुनाव लड़ना चाहती हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि हाईकमान ने रालोद को एनडीए में मिलाने का प्लान बनाया है। बात आगे ब़ढ़ चुकी है और समझौते में जो एक दो सीटों की अड़चन आ रही थी, उसे भी अब शायद तय कर लिया गया है। शीघ्र ही रालोद एनडीए में शामिल होगा और रालोद मुखिया जयंत चौधरी एवं उनके पार्टी के विधायक या पदाधिकारी को केंद्र और प्रांत की सरकारों में हिस्सेदारी मिलेगी। लगता है, शायद मथुरा सीट रालोद के खाते में जाए।
यदि ऐसा होता है तो बदले सियासी माहौल में मथुरा से हेमा मालिनी की जगह जयंत चौधरी या उनकी धर्मपत्नी चारु चौधरी लोकसभा की आगामी भाजपा एवं रालोद की संयुक्त प्रत्याशी हो सकती हैं। इससे मथुरा जिले का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा। कई नेताओं के चेहरे चमकेंगे तो वहीं अनेक राजनेताओं का राजनीतिक भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। साथ ही अगर ऐसा होता है तो मथुरा के प्रशासन में भी भारी फेरबदल होगा।