मुख्यपृष्ठस्तंभकॉलम ३ : हर मोर्चे पर हारता हिंदुस्थान!

कॉलम ३ : हर मोर्चे पर हारता हिंदुस्थान!

संतोष चतुर्वेदी
हरियाणा हिंसा की आग से हिंसाग्रस्त है तो मणिपुर सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है। मणिपुर हिंसा की आंच पड़ोसी राज्यों तक पसर रही है। वहीं हरियाणा की ज्वाला दिल्ली, उत्तर प्रदेश तक पहुंच रही है। आम आदमी महंगाई की मार से मर रहा है। कारोबारी कर्ज से कराह रहा है। किसान बेमौसम बारिश और फसलों की वाजिब कीमत न मिलने से मौत को गले लगा रहा है। हिंदुस्थान का कोई हिस्सा बाढ़ग्रस्त है तो कोई क्षेत्र सूखाग्रस्त। घर की रसोई का स्वाद बेस्वाद हो चला है। शिक्षा को लेकर भी युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहा है। बिजली की बढ़ती दरों से जनता त्रस्त है। डीजल-पेट्रोल-गैस ने चारों तरफ तबाही मचा रखी है। घरेलू गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं। फल-फूल रहा है तो वो है धर्म का धंधा। देश तरक्की कर रहा है तो धर्म के धंधे में। मणिपुर नागा-कुकी-मैतेई के नंगे नाच के चलते नंगई पर उतारू है। महंगाई की तुलना में लोगों की आय दिनों-दिन कम होती जा रही है। भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन गया है। इतना कुछ होने के बाद भी प्रेम प्रसंग बढ़ रहा है। पाकिस्तान से बॉर्डर के बंधनों को तोड़कर सीमा हैदर चार बच्चों को लेकर भारत आ धमकती है तो अंजू दो बच्चों को छोड़कर पाकिस्तान पहुंच जाती है। नया निवेश करने से बाहर के देश भारत की हालात को देखते हुए नहीं कर रहे। सारा विकास काम कागजी पूर्ति, दलाली, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। कहीं पुल गिर रहे हैं तो कहीं बसों में आग लग रही है। गुंडागर्दी, हफ्ताखोरी, दलाली, सांप्रदायिकता अपने चरम पर है। हर हाल में हिंदुस्थान हार रहा है। इसलिए विकास का सही नियोजन की देश में बहुत जरूरत है। अनियोजित विकास लोगों को गरीबी के दलदल में धकेलता है।

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