सुशील राय ‘शिवा’
ऑनलाइन गेमिंग का प्रचलन जोरों पर है। देश का युवा वर्ग हो या बुजुर्ग, हर वर्ग का रुझान ऑनलाइन गेमिंग की तरफ बढ़ा है। आनेवाले समय में ऑनलाइन गेमिंग में युवाओं को एक सुनहरा भविष्य बनाने का मौका भी मिल सकता है। लेकिन जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही इस ऑनलाइन गेमिंग के भी दो पहलू हैं। पहला पहलू, युवाओं का सुनहरा भविष्य तो दूसरा, सट्टेबाजी और जुआ की अंधेरी दुनिया है। अब असल मुद्दे पर आते हैं। दरअसल, ये मुद्दा जीएसटी और ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ा है। ये जीएसटी नाम की चिड़िया आम आदमी के लिए बहुत ही खतरनाक और उसके पैसे से केंद्र सरकार की झोली भरने का साधन बन चुकी है।
केंद्र सरकार छोटी-छोटी जीवनोपयोगी वस्तुओं पर भी जीएसटी लगाकर जनता से पैसे वसूल रही है। वैसे ही ऑनलाइन गेमिंग पर भी २८ प्रतिशत जीएसटी लगाना चाहती है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि वह देश के युवाओं को गेमिंग की लत से बचाना चाहती है। गौर करने वाली बात यह है कि इससे पहले सिर्फ ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी पर ही इतना ज्यादा टैक्स लगता था। अब जिन खेलों में आपको स्किल की जरूरत है और जिन गेम्स में ज्यादातर भाग्य निर्भर करता है, उन दोनों पर भारत में एक ही तरह से कर लगाया जाएगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि केंद्र सरकार जीएसटी और लत के नाम पर खेल-खेल में खेला करेगी।
ये खेल कुछ इस तरह से होगा, ‘सरकार ने हाल ही में लोगों द्वारा ऑनलाइन गेम से जीते गए पैसे पर ३० प्रतिशत टीडीएस लगाया था। वित्त मंत्रालय ने फिर से उन गेम्स के कुल मूल्य पर २८ प्रतिशत जीएसटी नाम का एक और टैक्स जोड़ दिया है।’ अभी तक ऑनलाइन गेमर्स और पोकर खिलाड़ियों को गेमिंग कंपनी द्वारा ली जाने वाली फीस के अलावा दांव लगाने या जीतने वाले पैसे पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन नए निर्णय के बाद खिलाड़ियों को तीन कर चुकाने होंगे। पहला, खेल में कुल धनराशि पर २८ प्रतिशत कर। दूसरा, वे जो पैसा जीतते हैं उस पर ३० प्रतिशत टैक्स लगता है और तीसरा, गेमिंग प्लेटफॉर्म पर भाग लेने के लिए अपनी फीस लेगा। इसलिए गेम खेलने पर खिलाड़ियों को अलग-अलग तरीकों से अधिक पैसे चुकाने होंगे।
जीएसटी एक प्रकार का टैक्स है, जो अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता द्वारा भुगतान किया जाता है। जब कोई १०० रुपए का दांव लगाना चाहता है तो उसे कुल १२८ रुपए का भुगतान करना होगा, जिसमें २८ रुपए जीएसटी टैक्स में जाएंगे। यदि उनके पास केवल १०० रुपए हैं तो उनकी शर्त का वास्तविक मूल्य ७८ रुपए होगा और २२ रुपए जीएसटी कर होगा। इसका मतलब यह है कि उपभोक्ता के लिए ऑनलाइन गेमिंग का खर्च या तो बढ़ जाएगा या यदि लोग ज्यादा खर्च के बावजूद भी खेलना चाहते हैं तो टैक्स के कारण उनके दांव का वास्तविक मूल्य कम होगा।
फिलहाल, भारत में गेमिंग उद्योग को लगभग २.८ बिलियन डॉलर का निवेश मिला है। सरकार के इस पैâसले से ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन ने भी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह निर्णय स्किल-आधारित ऑनलाइन गेम को जुए जैसा मानता है, जो उचित नहीं है। यह पैâसला पूरी भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री को तबाह कर देगा और कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। उनका यह भी मानना है कि इस पैâसले से केवल भारत के बाहर के अवैध जुआ प्लेटफॉर्मों को फायदा होगा और यह देश के लिए अच्छा नहीं है।