मुख्यपृष्ठस्तंभकॉलम३: नशाखोरी का मनोवैज्ञानिक आयाम!

कॉलम३: नशाखोरी का मनोवैज्ञानिक आयाम!

दीपक शर्मा

समय की बढ़ती जरूरतों, मांगों और समसामयिक चुनौतियों से उत्पन्न सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक तनाव सामान्य रूप से हमारी आबादी विशेष रूप से युवाओं को अनिश्चितता, असुरक्षा, अस्थिरता और पतन की ओर धकेलता है। परिणामस्वरूप, स्कूलों और कॉलेजों में पढ़नेवाले कुछ नवयुवक उचित मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के अभाव में अक्सर गलतियां करते हैंैं। सहकर्मियों के दबाव में या जागरूकता की कमी के कारण वे कभी-कभी नशे के आदी बन जाते हैं, जो उन्हें ‘जोखिम भरे मार्ग’ की ओर ले जाता है। इसलिए किशोरों को सही चरण में प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाना, सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा और मनोवैज्ञानिक कल्याण को बढ़ावा देना और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करना किशोरावस्था और वयसकता के दौरान उनके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। यह सभी शैक्षणिक संस्थानों में मनोवैज्ञानिक परामर्शदाताओं की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जो युवाओं की बात धैर्यपूर्वक सुन सके, उनकी मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को समझने की कोशिश कर सके, उन्हें पेशेवर मनोवैज्ञानिक के माध्यम से तनाव और सामान्य व्यवहार से अन्य विचलन पर काबू पाने में मदद कर सकें। हाई स्कूल स्तर किशोरावस्था की शुरुआत का प्रतीक है, जो बच्चों के जीवन में एक उतार-चढ़ाव भरा और परिवर्तनकारी चरण है। यही वह समय है जब वे मुद्दों, लोगों, विचारधाराओं और परिवेश के बारे में अपनी पसंद, नापसंद, दृष्टिकोण और धारणाएं बनाना शुरू करते हैं, अपने स्वयं के दृष्टिकोण विकसित करते हैं और अपने निर्णय लेने की इच्छा पालते हैं। इस स्तर पर उनकी जिज्ञासा, उत्साह और ऊर्जा को उचित मार्गदर्शन और सलाह के माध्यम से सही दिशा में मोड़ना महत्वपूर्ण हो जाता है। नवयुवक अपने करियर और भावी जीवन पर इसके दुष्प्रभाव को समझे बिना नशीली दवाओं या अन्य नशीले पदार्थों, बुरी संगति, अवैध गतिविधियों की शरण में जा सकते हैं और इनका स्थायी शिकार बन सकते हैं। इसके अलावा, परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करने, उच्च प्रतिशत अंक प्राप्त करने, कठिन प्रतियोगिताओं में भाग लेने और एक प्रतिष्ठित कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने का माता-पिता का दबाव प्रमुख वजहें हैं, जिनका वे आमतौर पर सामना करते हैं। हालात को बदतर बनाने के लिए, समाज में अनुचित तुलनाओं और अस्वास्थ्यकर प्रतियोगिताओं की परंपराओं के अलावा माता-पिता की अनुचित अपेक्षाएं उनके कोमल मस्तिष्क पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के अद्वितीय व्यक्तित्व और छिपी प्रतिभा की सराहना करने में विफल रहते हैं और अक्सर उन्हें मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश के लिए भेड़चाल का हिस्सा बनने के लिए मजबूर करते हैं। यह सब अक्सर बच्चों में अत्यधिक दबाव, हताशा, चिंता और अवसाद का कारण बनता है। ऐसी परिस्थितियों में स्कूल में एक देखभाल करनेवाला और सहानुभूतिपूर्ण मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता ऐसे छात्रों के लिए एक मददगार के रूप में काम कर सकता है, जो निराश, असहाय और विद्रोही महसूस करते हैं और अपने व्यवहार को समायोजित कर सकते हैं, उन्हें परेशान करनेवाली भावनाओं और विचारों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं और उन्हें मुकाबला करने के तंत्र विकसित करना सिखा सकता है। मनोचिकित्सा या टॉक थेरेपी का उपयोग करके इसके लिए काउंटर रणनीतियां बनाई जा सकती हैं। मनोचिकित्सा के माध्यम से वे ऐसे छात्रों को दोहराए जानेवाले नकारात्मक विश्वासों और विचारों के दुष्चक्र को तोड़ने में मदद कर सकते हैं, जो लगातार नकारात्मक भावनाओं और जुनून के बाद नकारात्मक व्यवहार और कार्यों (मजबूरी) से उत्पन्न होते हैं। वे उनकी मदद कर सकते हैं और उन्हें प्रशिक्षित कर सकते हैं कि कब और वैâसे उनका ध्यान नकारात्मक से सकारात्मक विचारों और भावनाओं की ओर मोड़ा जाए। मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता ऐसे बच्चों के माता-पिता को भी परामर्श भी दे सकते हैं, उनके व्यवहार और अपेक्षाओं को तर्कसंगत, संतुलित और सही दिशा में संरेखित कर सकते हैं, जिससे छात्रों को अवास्तविक उम्मीदों के असहनीय बोझ से राहत मिल सकती है। कॉलेज स्तर पर छात्र काफी उत्साह और ऊर्जा से भरपूर महसूस करते हैं। यह उनके लिए एक रोमांचकारी और उत्साहवर्धक चरण होता है, जो एक छात्र के जीवन में उसके भविष्य के प्रति एक नए मोड़ का प्रतीक है। नई जगह, नए लोगों, नए सहपाठियों, नए वातावरण और नए जीवन का अनुभव कभी-कभी कुछ लोगों के लिए संभालना मुश्किल हो सकता है, खासकर शर्मीले और अंतर्मुखी व्यक्तित्व वाले लोगों के लिए। नया माहौल कुछ छात्रों के लिए आत्म-सम्मान से संबंधित मुद्दों के अलावा सामाजिक व्यवहार, नेटवर्किंग, मेलजोल और नई दोस्ती और रिश्ते बनाने की नई चुनौतियां पेश कर सकता है जो बदले में तनाव, सामाजिक चिंता, अवसाद, असामान्य व्यवहार और असामान्य विचारों का कारण बन सकता है। इसलिए एक मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता ऐसे छात्रों के लिए सहायता का एक बहुत ही उपयोगी स्रोत हो सकता है, जहां वे नशे की दलदल में गिरने के प्रति सतर्क रह सकते हैं।

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