डॉ.अनिता राठौर
अंडरग्रेजुएट डिग्री के लिए जब श्यामला ने दिल्ली में होम साइंस विषय का चयन किया था, तो सबने उनका मजाक बनाया था- होम साइंस की डिग्री लेकर कोई क्या करता है? लेकिन श्यामला ने सबको गलत साबित किया, उन्होंने इसी डिग्री के बल पर यूनिवर्सिटी ऑफ वैâलिफोर्निया, बर्कले के लिए स्कॉलरशिप हासिल की और मात्र १९ वर्ष की आयु में अकेली अमेरिका पहुंचीं, ताकि बायोकेमिस्ट्री व एंड्रोक्रिनोलॉजी का अध्ययन कर सकें। वे अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन में उस समय शामिल हुर्इं, जब भारतीय प्रवासी ऐसी बातों से दूर भागते थे। श्यामला की यह संवेदनशीलता और दृढ़संकल्प उनकी दोनों बेटियों कमला व माया में भी आई है। अब कमला हैरिस अमेरिका की राष्ट्रपति बनने की कगार पर हैं; क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद को आगामी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से अलग कर लिया है और अपनी जगह कमला हैरिस को दे दी।
ऐसे में सवाल है कि क्या कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने में सफल हो जाएंगी यानी वह सफलता हासिल कर सकेंगी, जिसे पाने में उनसे पहले हिलेरी क्लिंटन असफल रही थीं? अमेरिका के अब तक के ४६ राष्ट्रपतियों में से कोई भी महिला नहीं है। हिलेरी क्लिंटन ने राष्ट्रपति बनने के लिए कड़ा संघर्ष अवश्य किया था, लेकिन वह डोनाल्ड ट्रंप से हार गर्इं थीं।
वैसे तो बाइडेन व ट्रंप लगभग समान आयु के ही हैं, लेकिन ८१-वर्षीय बाइडेन भूलने की मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं, जिससे वह कुछ का कुछ कह रहे थे, जिसका न सिर्फ मजाक बन रहा था बल्कि वह डिबेट व अपने चुनाव प्रचार में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे। डेमोक्रेटिक पार्टी की चुनावी स्थिति निरंतर कमजोर होती जा रही थी इसलिए राष्ट्रपति, उनके परिवार व नजदीकी सलाहकारों ने उनकी एग्जिट की योजना तैयार की। २१ जुलाई की बैठक के बाद कमला हैरिस को सबसे पहले फोन किया गया कि बाइडेन चुनावी दौड़ से हट रहे हैं और अपनी जगह कमला हैरिस के नाम का समर्थन कर रहे हैं।
अमेरिका की राजनीति में भारतीय अमेरिकन मजबूत सियासी फ़ोर्स हैं, जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जैसे ही ट्रंप ने जेडी वेंस को अपना उप-राष्ट्रपति पद के लिए रनिंग मेट घोषित किया तो उषा वेंस की प्रोफाइल में ज़बरदस्त वृद्धि हो गई। उषा जेडी वेंस की पत्नी हैं। उनका संबंध भारत के आंध्रप्रदेश से है यानी वह भारतीय मूल की हैं और हिंदू धर्म का पालन करती हैं। इसलिए अमेरिका में भारतीय मूल के अधिकांश मतदाता उत्साहित हो गये थे कि उनकी अपनी अमेरिका की सेकंड लेडी होंगी और यह अनुमान लगाया जाने लगा था कि भारतीय मूल के अधिकतर अमेरिकी मत डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के खाते में चले जाएंगे, जिससे उसकी जीत की संभावना बढ़ जाएगी। लेकिन अब जब कमला हैरिस के राष्ट्रपति बनने की संभावना है, तो भारतीय मूल के अमेरिकी असमंजस में पड़ गए हैं कि वे संभावित सेकंड लेडी उषा का समर्थन करें या संभावित राष्ट्रपति कमला का।
जाहिर है कि हर भारतीय व्हाइट हाउस में कमला को ही देखना चाहेगा। इसलिए अनुमान यह है कि बदली परिस्थिति में भारतीय मूल के अधिकांश अमेरिकी मतदाताओं का झुकाव कमला की डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर होगा। कमला कोई जीनियस नहीं हैं, लेकिन इरादों की पुख्तगी व मानवीय मूल्य उन्होंने विरासत में अपनी मां से पाए हैं। इसलिए वह परंपरागत उप-राष्ट्रपति की बजाय अति सक्रिय उप-राष्ट्रपति रहीं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वह उप-राष्ट्रपति से राष्ट्रपति बन सकेंगी? यहां यह बताना जरूरी है कि अमेरिका के १४ उप-राष्ट्रपति बाद में राष्ट्रपति बने, जिनमें से सात तो पिछली शताब्दी में ही बने, लेकिन पिछले तीन दशक में कोई यह कारनामा नहीं कर सका है यानी जॉर्ज एचडब्लू बुश (उप-राष्ट्रपति १९८१-८९ व राष्ट्रपति १९८९-९३) के बाद से कोई उप-राष्ट्रपति राष्ट्रपति नहीं बन सका है। कमला की उम्मीदवारी को लेकर अब दक्षिणपंथियों ने ‘जन्म’ विवाद को हवा देनी शुरू कर दी है कि अपने ‘विदेशी’ पैरेंट्स के कारण क्या वह उच्च पद हासिल करने के योग्य हैं? यह तो पूर्णत: स्थापित है कि कमला ओकलैंड, वैâलिफोर्निया में १९६४ में पैदा हुई थीं; बहस यह है कि वह राष्ट्रपति पद के योग्य नहीं हैं क्योंकि वह ‘नेचुरल बोर्न सिटीजन’ नहीं हैं बल्कि ‘एंकर’ हैं यानी विदेशी पैरेंट्स के घर जन्मा बच्चा। इस सिलसिले में बहुत से दक्षिणपंथी अमेरिकी संविधान के १२वें संशोधन का हवाला भी दे रहे हैं कि वह संविधान की दृष्टि से राष्ट्रपति पद के लिए योग्य नहीं हैं। यह कोरी बकवास है। अमेरिकी संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति बनने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम आयु ३५ वर्ष होनी चाहिए, वह कम से कम १४ वर्ष से अमेरिका में रह रहा हो और जन्म से अमेरिका का नागरिक हो। कमला इस पैमाने पर खरी उतरती हैं और अगर ट्रंप को हराती हैं तो पहली महिला राष्ट्रपति बनेंगी।
(लेखिका शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं)