मुख्यपृष्ठस्तंभकॉलम ३ : योगी की प्रतिष्ठा दांव पर!

कॉलम ३ : योगी की प्रतिष्ठा दांव पर!

रोहित माहेश्वरी
यूपी बीजेपी में सब कुछ अभी शांत नहीं हुआ है। योगी आदित्यनाथ विरोधी गुट ने भले ही आगे बढ़कर बयानबाजी बंद कर दी हो, लेकिन अंदरखाने योगी को गिराने की साजिशें जारी हैं। पिछले दिनों बढ़े विवाद के बाद ये खबर सामने आई थी कि बीजेपी आलाकमान ने विरोधी गुट को बयानबाजी न करने की सख्त हिदायत दी है, वहीं योगी आदित्यनाथ को पार्टी और संघ से खुली छूट मिली है। प्रदेश में १० सीटों पर होनेवाले उपचुनाव में भी योगी को प्रâी हैंड मिलने की खबर आ रही है। ऐसे में १० सीटों पर होनेवाले उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इस इम्तिहान में अगर नतीजे पार्टी के पक्ष में नहीं हुए तो योगी आदित्यनाथ को आलाकमान से मिली आजादी पर ब्रेक लग सकती है।
यूपी की १० विधानसभा सीटों- करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मंझवा और सीसामऊ पर उपचुनाव होना है। इन सीटों में ५ सपा की हैं। आरएलडी और निषाद पार्टी की एक-एक सीटें हैं, जबकि भाजपा की ३ सीटें हैं। उपुचनाव की तारीखें भले ही अभी घोषित नहीं हुई हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में अब भाजपा के सामने बड़ी चुनौती १० विधानसभा सीटों को लेकर होनेवाले उपचुनाव को लेकर है। भगवा दल पूरी शिद्दत के साथ इन सीटों पर जीत की तैयारी में लग गया है। इसके लिए ३० मंत्रियों को अहम जिम्मेदारी दी गई है। हर सीट पर इन मंत्रियों को जीत की रणनीति तय करने का दायित्व सौंपा गया है।
बीते सप्ताह सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन ३० मंत्रियों के साथ बैठक की, जिन्हें चुनाव वाली सीटों पर प्रभारी बनाया गया है। बैठक में मंत्रियों को सभी सीटें जीतने का टास्क देते हुए कहा कि हर हाल में १० सीटों को जीतना है। इसके लिए मंत्री सप्ताह में कम से कम दो दिन उसी क्षेत्र में रात्रि प्रवास जरूर करें और चुनाव समाप्त होने तक वहां डटे रहे।
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को बूथ स्तर तक के सभी कार्यकर्ताओं से संवाद करने और उनकी समस्याओं का निस्तारण कराने के भी निर्देश दिए हैं। साथ ही सीएम ने यह भी कहा है कि यदि कहीं कार्यकर्ताओं को समस्या सुलझाने में दिक्कत आ रही हो तो सीधे हमें बताएं। बैठक में मुख्यमंत्री ने पहले सभी मंत्रियों से अलग-अलग सीटवार चुनावी तैयारियों, जनता के बीच चर्चाओं और कार्यकर्ताओं से जुड़े मसलों पर चर्चा की। क्षेत्र में भाजपा को लेकर माहौल के बारे में फीडबैक लिया। मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को सबसे अधिक फोकस बूथ प्रबंधन और उससे जुड़े कार्यकर्ताओं पर करने को कहा है। दरअसल, इस उपचुनाव में सभी सीटों को जीतना भाजपा से ज्यादा योगी आदित्यनाथ के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। इसलिए सरकार और संगठन दोनों ने उपचुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। इसी कड़ी में सरकार ने अपनी हर सीट पर तीन-चार मंत्रियों की एक-एक टीम बनाकर उतारा है। इस प्रकार कुल ३० मंत्रियों के कंधों पर उपचुनाव जीतने की जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है कि १० सीटों पर बेहतर प्रदर्शन कर भाजपा लोकसभा चुनाव के घाव पर मरहम लगाना चाहती है। इसलिए मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को क्षेत्र में पूरी शिद्दत से जुटे रहने को कहा है। भाजपा का अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर अधिक फोकस है। यह सीट अभी सपा के खाते में थी और यहां से विधायक रहे अवधेश प्रसाद ही फैजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीते हैं। इसलिए भाजपा मिल्कीपुर सीट छीनने की कोशिश में जुटी है। इसलिए इस पर चार मंत्रियों के अलावा संगठन से भी बड़े नेताओं को चुनाव की कमान सौंपी गई है।

वहीं खबर यह भी है कि यूपी बीजेपी में शुरू हुई आंतरिक कलह के बीच २७ जुलाई को भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर सकता है। इस दिन नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली जाएंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री से अलग से भी मुलाकात हो सकती है।
पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री की पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हो सकती है। इस दौरान हार की समीक्षा के साथ भविष्य की रणनीति पर चर्चा का अनुमान लगाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि मुलाकात के दौरान दस सीटों पर होनेवाले उपचुनाव पर भी चर्चा हो सकती है। कुल मिलाकर, उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी का फिर एक बार बड़ा टेस्ट होनेवाला है।
(लेखक पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

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