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संचार यंत्र बना नया हथियार : साइबर ठग कर रहे वार! …२०१९ से अब तक ६ लाख शिकायतें हुई हैं दर्ज

• विफल हो रहे हैं पुलिस के सभी प्रयास
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
वारदात को अंजाम देने के लिए यूं तो अपराधियों के लिए कोई मुहूर्त नहीं होता, लेकिन वे क्षेत्र विशेष को अपना निशाना जरूर बना लेते हैं। ठग अपने जाल में लोगों को फंसने के नए-नए हथकंडे अपनाते रहते हैं और मौका मिलते ही मंसूबा पूरा कर लेते हैं। स्थिति यह है कि २ माह में ५ लोगों से १.७७ लाख की ठगी को अंजाम दे चुके हैं। रेवाड़ी जिले की बात की जाए तो दो माह में ठगी के १८ मामले हो चुके है। बता दें कि साइबर प्रâॉड से जुड़े मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, हर दिन ना जाने कितने ही लोग साइबर अपराध का शिकार बन रहे हैं। प्रâॉड करने वाले लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके खोजकर लाते रहते हैं, इनमें से एक तरीका है ओटीपी के जरिए ठगी करना। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अगस्त २०१९ से लेकर १२ दिसंबर २०२२ तक साइबर प्रâॉड के कुल ६ लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। जबकि १ लाख ११ हजार शिकायतों में अब तक १८८ हजार करोड़ रुपए की राशि धोखाधड़ी से बचाई गई है। आम जनता को साइबर अपराध से बचाने के लिए गृह मंत्रालय न केवल एसएमएस बल्कि सोशल मीडिया के जरिए भी कैंपेन चलाते हुए लोगों को जागरुक करने का काम करता है लेकिन इसके बाद भी लगातार घटना बढ़ती ही जा रही हैं।
साइबर ठगों की नजर में
राजस्थान और हरियाणा
राजस्थान और हरियाणा में बड़ी-बड़ी कंपनियों की भरमार है। जिनमें बड़ी संख्या में स्थानीय सहित अन्य प्रदेशों के लोग कार्य करते हैं। इनमें कोई अधिकारी वर्ग से हैं तो अधिकतर श्रमिक वर्ग से है। आर्थिक दृष्टि से संपन्न एरिया होने से साइबर ठगों की नजर भी इस क्षेत्र के लोगों पर रहती है। पुलिस की ओर से साइबर क्राइम को लेकर लोगों को बार-बार जागरूक किया जा रहा है। फिर भी लोग साइबर ठगों के जाल में फंस ही जाते हैं। दो महीने में साइबर ठगों की ओर से केवाईसी अपडेट करने, कस्टकर केयर अधिकारी बनने जानकारी जुटाने व लोगों की सहयता करने का झांसा देकर पांच लोगों से करीब एक लाख ७७ हजार से ज्यादा रुपए ठग लिए।
साइबर थाना खोलने से
राहत की जगी थी उम्मीद
करीब डेढ़ साल पहले रेवाड़ी जिले में साइबर थाना खोलने से लोगों को उम्मीद थी कि साइबर क्राइम पर रोक लगेगी। साइबर थाने की ओर से करीब तीन माह तक जागरूकता अभियान भी चलाया गया, ताकि लोग ठगों के शिकार नहीं बने, लेकिन क्राइम कम नहीं हो रहा है। हालांकि, पुलिस ने चार मामले सुलझाए भी हैं, लेकिन साइबर क्राइम बढ़ता ही जा रहा है।

साइंटिस्ट की पत्नी के खाते से निकाले ८० हजार रुपए
ग्वालियर में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन में पदस्थ साइंटिस्ट की पत्नी को डुप्लीकेट क्रेडिट के नाम पर अज्ञात ठग ने बताया कि उनके कार्ड पर एक गिफ्ट वाउचर का ऑफर आया है। कर्मचारी की पत्नी ने कहा कि हमें क्रेडिट कार्ड नहीं चाहिए है हमें इसे ब्लॉक कराना है तो ठग ने उन्हें कहा कि वे उन्हें एक लिंक भेज रहा है, वह लिंक पर जैसी क्लिक करेगी तो उनका ऑफर वैंâसिल हो जाएगा। कर्मचारी की पत्नी ने जैसे ही ठग की भेजी गई लिंक पर क्लिक किया तो उनके खाते से दो बार में ८० हजार रुपए उड़ गए। खाते से पैसे निकलने का मैसेज मोबाइल आने पर ठगी का पता चला जिसके बाद कर्मचारी की पत्नी तत्काल बैंक पहुंची और अपने क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करा दिया।

लिंक भेजकर लेडी टीचर के खाते से उड़ाए ३.५ लाख
‘हैलो, साली साहिबा, पहचाना कि नहीं…।’ पैसों की जरूरत है। अनजान नंबर से आए कॉल से इस तरह बात की गई। इसके बाद ठग ने महिला टीचर और उसके भाई के खाते से ३ लाख ५५ हजार रुपए उड़ा दिए। ग्वालियर निवासी महिला टीचर को ठगी का पता तब चला, जब वह दो महीने बाद बैंक पहुंची। नीरू सिंह ने बताया कि जनवरी में मोबाइल पर एक कॉल आया। कॉल रिसीव करते ही कॉलर ने कहा ‘साली साहिबा वैâसी हैं, पहचाना कि नहीं।’ पहले तो मैं कंफ्यूज हो गई, लेकिन कॉलर के बातचीत का तरीका ऐसा था कि उसकी बातों में आ गई। उसे सच में जीजा समझ लिया। कुछ देर बाद बातचीत की। कॉलर ने बताया कि उसे थोड़ा काम था, इसलिए कॉल किया। कथित जीजा ने कहा था कि उसे किसी थर्ड पार्टी को पेमेंट करना है, लेकिन मेरे खाते से ट्रांसफर नहीं हो रहा। नीरू सिंह ने बताया कि कॉलर ने कहा कि वह उसके खाते में २५ हजार रुपए डाल रहा है। ये रुपए शाम को तुम थर्ड पार्टी को भेज देना। थोड़ी देर बाद फिर कॉल आया। कॉलर ने कहा कि उसके द्वारा किया गया ट्रांजेक्शन फेल हो गया है। उसने कहा मैं तुम्हारे मोबाइल पर लिंक भेज रहा हूं। इस पर क्लिक करोगे, तो पैसे आ जाएंगे। मैंने लिंक पर क्लिक किया, तो खाते से रुपए कटते चले गए। खाते से एक लाख ७० हजार रुपए कट गए।

 

 

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