मनमोहन सिंह
लोकसभा चुनाव के छठवें चरण यानी २५ मई को हरियाणा की १० लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान मोदी सरकार का किसानों के प्रति जो रवैया रहा, उसका भुगतान अब करना पड़ेगा!
बेशक हरियाणा में भाजपा की ओर से प्रचार की कमान पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी संभाल रहे हैं, लेकिन इस बात का उनको अंदाजा होने लग गया है कि किसानों के मामले में उन्हें बैकफुट पर आना पड़ रहा है। हालांकि, भाजपा को अभी विश्वास है कि मोदी मैजिक और राम मंदिर उनकी नैया पार लगा सकता है। लेकिन किसानों का एक बड़ा वर्ग, जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए दिल्ली कूच किया था और गोली व लाठी खाकर अपनी जान तक दांव पर लगा दी थी, वे इन्हें माफ करने को तैयार नहीं। किसानों का विरोध इन्हें झेलना पड़ रहा है।
दूसरी ओर भाजपा छोड़कर कांग्रेस से जुड़ रहे नेताओं का बढ़ता ग्राफ भी भाजपा के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। किसानों का विरोध भाजपा के साथ-साथ जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी को भी झेलना पड़ रहा है। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बात को समझने लगे हैं कि भले ही भाजपा के प्रति लहर नहीं है, लेकिन उनकी जीत भी बहुत आसान नहीं है। इसलिए `इंडिया’ गठबंधन किसान आंदोलन, बेरोजगारी, महंगाई, बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार व ईडी-सीबीआई जैसे मुद्दों पर जोर देकर भाजपा का पलड़ा हल्का करने की कोशिश कर रहा है।
बात हरियाणा की हो और चौधरी देवीलाल की बात न हो, यह मुमकिन नहीं। भाजपा ने उनके पुत्र रणजीत चौटाला, इंडियन नेशनल लोकदल ने सुनैना चौटाला और जननायक जनता पार्टी ने नैना चौटाला को टिकट देकर अपनी जीत सुनिश्चित करने की कोशिश की है। लेकिन हुड्डा इन दोनों पार्टियों को `वोट काटू’ कहते हैं और दावा करते हैं कि मतदाता संसदीय चुनावों में `वोट काटू’ पार्टियों, जननायक जनता पार्टी (जजपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को खारिज कर देंगे।
राज्य में कांग्रेस नौ सीट पर चुनाव लड़ रही है, जबकि विपक्षी गठबंधन `इंडिया’ के घटक दल आम आदमी पार्टी (आप) कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रही है। इनेलो और जजपा ने भी कहा है कि वे सभी सीट पर चुनाव लड़ेंगे। हरियाणा की सभी दस लोकसभा सीट पर छठे चरण में २५ मई को मतदान होगा। भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक मोदी, योगी और `इंडिया’ गठबंधन के राहुल, केजरीवाल के आने से नतीजे पर कितना असर पड़ेगा यह देखने लायक होगा, लेकिन किसानों की नाराजगी भाजपा को महंगी पड़ सकती है।