मुख्यपृष्ठस्तंभमोदी के मंत्री की कांग्रेसियों में श्रद्धा!

मोदी के मंत्री की कांग्रेसियों में श्रद्धा!

कविता श्रीवास्तव
केरल के त्रिशूर से लोकसभा चुनाव जीते अभिनेता सुरेश गोपी ने राज्य में भाजपा के लिए उम्मीद की राह जरूर बनाई है, क्योंकि केरल में भाजपा टिकट पर वे अकेले निर्वाचित हुए हैं। पुरस्कार के रूप में उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। मंत्री बनते ही उन्होंने पार्टी लाइन से अलग हटकर अपनी अंतरात्मा की बात कही है। केरल पहुंचकर उन्होंने सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी `भारत की माता’ थीं। केंद्र सरकार में भाजपा के इस मंत्री ने और आगे बढ़कर केरल के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री के. करुणाकरन को भी याद किया और कहा कि वे केरल में कांग्रेस के पितामह थे। वे साहसी प्रशासक थे। ये अलग बात है कि सुरेश गोपी ने करुणाकरन के पुत्र को ही बीते लोकसभा चुनाव में हराकर सफलता पाई है। इतना ही नहीं, भाजपा के इस नवनियुक्त मंत्री ने करुणाकरन और मार्क्सवादी ई. के. नयनार को अपना `राजनीतिक गुुुरु’ बताया। उन्होंने करुणाकरन मेमोरियल और नयनार के घर पहुंच कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इससे यह तो साफ है कि सुरेश गोपी ने उन सबको याद किया, जिन्हें उन्होंने राजनीति में अपना आदर्श समझा है।
इस ईमानदार अभिव्यक्ति में उनकी सोच की व्यापकता झलकती है। वे किसी संकीर्णता की कुढ़ती हुई सीमित सोच के दायरे से स्वयं को बाहर रखते हैं। वर्ना हम तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के अन्य बड़े नेताओं, प्रवक्ताओं के मुख से अक्सर ही जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल गांधी आदि के प्रति अनादर करने जैसी बातें ही सुनते हैं। कांग्रेस के शासनकाल को भाजपा नेताओं ने हमेशा देश को लूटने वाला बताकर ही अपनी खीझ उतारी है। मानो जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी. वी. नरसिंहराव, डॉ. मनमोहन सिंह आदि ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में देश के लिए कोई अच्छा काम ही नहीं किया। जबकि वास्तविकता यह है कि वह इंदिरा गांधी की ताकत थी कि उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कराकर बांग्लादेश बनवाया और दुनिया देखती रह गई।
सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों ने अपने दौर में उपलब्ध संसाधनों और तत्कालीन परिस्थितियों में देश को विकास की राह पर तेजी से दौड़ाए रखा और विश्व में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाया। लेकिन दुर्भावना और दुष्प्रचार के माध्यम से देश के पूर्व राजनेताओं को लगातार गलत बताने की कोशिशें आज के सफल नेता करते दिखते हैं। यही परंपरा रही तो संभव है कि आज इतरा रहे इन लोगों पर भी भविष्य में भला-बुरा सुनने में आ सकता है। इसीलिए कहा गया है कि अपमान करने वाला व्यक्ति कभी भी अपने लिए सम्मान नहीं कमा पाता है। बड़ों का सम्मान हमारी संस्कृति की विशेषता है। हम भले गुलामी की जंजीरों में रहे, लेकिन हमारी संस्कृति बहुत प्राचीन है, जिसमें बड़ों के सम्मान की परंपरा है। वैसे भी व्यावहारिक तौर पर उन लोगों के खिलाफ बोलने से परहेज किया जाता है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, क्योंकि वे अपना पक्ष रखने या सफाई देने नहीं आ सकते।
बीती हुई पीढ़ियों की अच्छाइयों से सीखना और छूटी हुई कमियों को दूर करके आगे बढ़ते रहना ही जिंदगी है। राजनीति में विनम्र व्यवहार और मर्यादापूर्ण आचरण वाले नेताओं को दुनिया सदियों तक याद रखती है। तभी तो अभिनेता से राजनेता बने भाजपा के सुरेश गोपी ने राजनीति में सफलता प्राप्त होते ही इंदिरा गांधी, करुणाकरन और नयनार को याद किया है।

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