प्रस्तावित मेट्रो कारशेड की जगह पर ८४ पेड़ों के अलावा झाड़ियां थीं, तो इस बारे में आपने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी क्यों नहीं दी?
सामना संवाददाता / मुंबई
आरे कॉलोनी में अंधाधुंध चल रही पेड़ों की कटाई को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर मुंबई हाईकोर्ट ने मनपा प्रशासन को जबरदस्त फटकार लगाई है। मेट्रो कारशेड के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मात्र ८४ पेड़ काटने का परमिशन दिया है। इसके बावजूद आपने १७७ पेड़ काटने का नोटिस वैâसे जारी किया? ऐसा तीखा सवाल करते हुए कोर्ट ने १६ फरवरी तक हलफनामा द्वारा जवाब देने का सख्त आदेश दिया है।
मनपा ने मेट्रो-३ योजना अंतर्गत कारशेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी के १७७ पेड़ काटने का नोटिस जारी किया था। उस नोटिस को चुनौती देते हुए पर्यावरण कार्यकर्ता झोरू बठेना ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सोमवार को प्रभारी मुख्य न्यायाधीश एस.वी. गंगापुरवाला और न्यायाधीश संदीप मारणे की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने मनपा प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नवंबर २०२२ में दिए गए आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाया। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने मात्र ८४ पेड़ करने की इजाजत दी थी, लेकिन मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) ने मनपा से १७७ पेड़ काटने की परमिशन मांगी। इसलिए मनपा प्रशासन ने १२ जनवरी को नोटिस जारी किया था। मनपा प्रशासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय ने अपनी दलीलें दी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि प्रस्तावित मेट्रो कारशेड की जगह पर ८४ पेड़ों के अलावा अतिरिक्त जंगली पेड़ हैं, इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को क्यों नहीं दी गई? उन पेड़ों को हटाने की जरूरत है तो कोर्ट के संज्ञान में क्यों नहीं लाया गया? इसलिए वह घास है या पेड़, यह सवाल बना हुआ है। ऐसी टिप्पणी करते हुए खंडपीठ ने मनपा प्रशासन से १६ फरवरी तक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता ने मनपा प्रशासन और एमएमआरसीएल को वहां कोई भी काम नहीं करने की विनती की, जिस पर कोर्ट ने याचिका की सुनवाई तक कोई कार्य नहीं करने का आदेश दिया है।