९५ प्रतिशत चालान पर स्कूल के स्टैंप या हस्ताक्षर नहीं
१० करोड़ रुपए से अधिक के राशन का फर्जीवाड़ा
सामना संवाददाता / मुंबई
सरकारी स्कूलों में बांटने के लिए आया सरकारी राशन अधिकारियों के साथ मिलकर ठेकेदार हड़प गए हैं। मामले का खुलासा एक स्कूल की तरफ से की गई शिकायत की जांच के बाद हुआ है। जांच में पाया गया कि ठेकेदार द्वारा स्कूलों के जो चालान जमा किए हैं, उसमें से ९५ प्रतिशत चालान पर स्कूल के स्टैंप या हस्ताक्षर नहीं हैं। इस मामले में शिकायत लोकायुक्त तक पहुंचने पर अब लोकायुक्त ने शिक्षण अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों की मानें तो ठेकेदार छात्रों को बांटने के लिए दिए दस करोड़ रुपए से अधिक का राशन हड़प गया है। इससे सरकारी स्कूलों में छात्रों को बांटनेवाले राशन में बड़ा घोटाला सामने आया है।
बता दें कि राज्य सरकार द्वारा शालेय पोषण आहार योजना के तहत सरकारी स्कूल के छात्रों को पोषण आहार के लिए राशन वितरित करती है। इसके लिए स्कूलों में अनाज वितरण का ठेका आकाश ग्राहक सहकारी संस्था मर्यादित को दिया गया था, लेकिन आकाश ग्राहक सहकारी संस्था की तरफ से ९५ प्रतिशत स्कूलों में अनाज वितरण नहीं किया गया। ठेकेदार द्वारा इन स्कूलों का फर्जी हस्ताक्षर कर बिल जमा कर दिया गया।
इस बिल पर स्कूलों का स्टैंप नहीं था। बताया गया कि स्कूल बंद होने के कारण स्टैंप नहीं मिल सका। इसकी शिकायत शिक्षण विभाग से की गई। इसके बाद शिक्षण विभाग के उप शिक्षणाधिकारी अजय वाणी द्वारा मुंबई के स्कूलों में जांच की गई तो पाया कि ९५ प्रतिशत स्कूलों में अनाज वितरण हुआ ही नहीं है। इस पर शिक्षण विभाग की तरफ से राज्य शिक्षण विभाग और पुणे शिक्षण आयुक्त से इस संदर्भ में कार्रवाई करने के लिए सिफारिश की गई है, लेकिन इस मामले में एक साल बीत जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर कुछ लोगों द्वारा लोकायुक्त से इस संदर्भ में शिकायत की गई। लोकायुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच शुरू कर दी है। मामले में शिक्षण अधिकारी से मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में ठेकेदार के साथ कई अधिकारियों के शामिल होने के कारण कई लोगों पर गाज गिरने की संभावना जताई जा रही है।
ठेकेदार द्वारा सरकारी स्कूल का अनाज हड़पकर बाजार में बेच दिया गया है। सबसे बड़ी बात कि स्कूलों का फर्जी चालान बनाया गया। इस संदर्भ में खुद स्कूल की तरफ से भी शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक शिक्षण विभाग की तरफ से किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। इसके लिए लोकायुक्त से शिकायत की थी। अब इस मामले में लोकायुक्त ने जांच शुरू की है। -एड. कैलाश लोकरे, शिकायतकर्ता