सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की घाती सरकार दावा कर रही है कि राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास कार्य जोरों पर चल रहे हैं। पिछले डेढ़-दो वर्षों से आर्थिक पहलुओं का आकलन किए बिना निकाले गए टेंडरों के कारण विकास कार्य करने वाले सरकारी ठेकेदारों का लगभग ४०,००० करोड़ रुपए का बिल बकाया हो गया है। कई बार फॉलोअप करने के बाद भी बकाया बिलों की अदायगी न होने से नाराज राज्य के ठेकेदार कल सड़कों पर उतर आए। साथ ही उन्होंने घाती सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जिलाधिकारी कार्यालयों के सामने आंदोलन करके अपना गुस्सा जाहिर किया।
विधानसभा चुनाव मुहाने पर होने के कारण लाडली बहन योजना का खूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। जिले-जिले में कार्यक्रम कर अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर राज्य का सरकारी खजाना खाली है। इसलिए विभिन्न विकास कार्यों के करोड़ों रुपयों के बिल का भुगतान करने में सरकार आनाकानी कर रही है। इसके चलते राज्य में शिक्षित बेरोजगार इंजीनियर और ठेकेदार संगठन सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गए हैं। कल मुंबई, ठाणे, रायगड, पुणे, नागपुर, कोल्हापुर, सोलापुर, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, बीड, नांदेड़, धाराशिव, छत्रपति संभाजीनगर सहित राज्य के २९ जिलों में ठेकेदारों ने जिलाधिकारी कार्यालयों पर आंदोलन किया और सरकार को आखिरी चेतावनी दी। काम बंद, धरना आंदोलन, जिलाधिकारी व सरकार से अपील आदि लोकतांत्रिक रास्तों से न्याय की मांग करने का प्रयास ठेकेदार संगठन कर रहे हैं। इसी के तहत कल प्रदेश भर में सभी ठेकेदारों ने विरोध प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। महाराष्ट्र राज्य ठेकेदार महासंघ के अध्यक्ष मिलिंद भोसले और महासचिव सुनील नागराले ने कहा कि १० अक्टूबर को बैठक में आंदोलन की अगली दिशा तय की जाएगी।