डॉ. रमेश ठाकुर
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ गिनी-चुनी संस्थाएं ऐसी हैं, जिनके मानव सहयोग रूपी कार्य सराहनीय होते हैं। रेड क्रॉस संस्था भी उन्हीं में से एक है। कोविड-१९ जैसी भयंकर महामारी हो, युद्ध संकट का विकराल वक्त या सार्वजनिक रूप में कोई कुदरती आपदा आई हो, ऐसे संकट के समय में रेड क्रॉस सोसाइटी के वॉलंटियर्स बिना अपनी जान की परवाह किए, दूसरों की मदद करते हैं। रेड क्रॉस संस्था का काम न सिर्फ हिंदुस्थान में, बल्कि समूची दुनिया में सराहनीय रहा है। विभिन्न तरह के मानवतावादी कार्यों में संस्था का योगदान शुरू से अभूतपूर्व रहा है। हिंदुस्थान में भी रेड क्रॉस का बड़ा विस्तार है। महानगर से लेकर छोटे-बड़े गांव-कस्बों में भी इनके सक्रिय कार्यकर्ता हमेशा मौजूद रहते हैं। अपने यहां इन्हें केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न तरह की सहूलियत भी प्रदान होती है।
बदलते ग्लोबल वॉर्मिंग युग में समस्याएं कब आ जाएं, किसी को भी नहीं पता? ऐसे वक्त में मदद के लिए जो आगे आता है, वह भगवान का सच्चा अनुआई होता है। प्रत्येक बड़े-छोटे अस्पतालों में इनके वॉलंटियर्स होते हैं। अस्पतालों के बाहर बोर्ड भी लगा होता है, जिससे कोई भी इनके सदस्यों से संपर्क करके मदद ले सकता है। विश्व रेड क्रॉस दिवस सालाना आज के दिन यानी आठ मई को पूरी दुनिया मनाती है, जिसका खास मकसद अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट आंदोलन के सिद्धांतों को याद करना होता है। संस्था अब किसी एक क्षेत्र में सीमित नहीं रही, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में सक्रियता से योगदान दे रही है। एक वक्त था, जब इनका अव्वल उद्देश्य जरूरतमंदों, असहायों, दीन-दुखियों व आपसी लड़ाईयों में घायल हुए सैनिकों तथा सिविलियंस की रक्षा करना मात्र होता था लेकिन अब प्रत्येक दुखभरी कहानियों में इनके वॉलेंटियर्स हिस्सेदार बनते हैं। विकट समस्या स्थल पर पहुंचकर पीड़ितों का दुख बांटते हैं।
हिंदुस्थान में बीते एकाध दशक में जितनी भी बड़ी दर्दनाक घटनाएं घटी, उनमें रेड क्रॉस ने सराहनीय कार्य किया। संस्था का योगदान या इनका नि:स्वार्थ कार्य किसी एकाध देश तक ही नहीं सिमटा है। दरअसल, रेड क्रॉस को एक मिशन के रूप में दुनिया जानती है। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन तो है ही? क्योंकि इनका कार्य अब जन आंदोलन में तब्दील हो चुका है। हेडक्वॉर्टर स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है। एक जमाना था, जब सिर्फ पांच या सात देश मिलकर मुहिम को आगे बढ़ाते थे, पर अब इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास और कई नेशनल सोसाइटी मिलकर इस संस्था का संयुक्त रूप से संचालन करती हैं। कोविड महामारी में रेड क्रॉस आंदोलन की अहमियत और भी अधिक प्रासंगिक हुई है।
रेड क्रॉस संस्था को अब हुकूमतें भी पूरा सहयोग करती हैं। मांग या जरूरत होने पर सरकारें फंडिंग भी करती हैं। हेलिकॉप्टर के अलावा सरकारी वाहन भी जरूरत होने पर मुहैया कराए जाते हैं। इस दिवस के महत्व की जहां तक बात है तो उसे सुनाने या बताने में बहुत वक्त लगेगा। वर्ल्ड रेड क्रॉस सोसाइटी का काम नॉनस्टॉप चौबीस घंटे निरंतर जारी रहता है। देश में अ-जन्में वायरस व भंयकर बीमारी या युद्ध संकट में इनके वॉलेंटियर्स का सेवाभाव देखने लायक होता है। कोविड में सबने देखा भी। जहां प्रत्येक बड़े अस्पतालों में इनके वॉलेंटियर्स की मौजूदगी रही थी। वैंâपो में अस्पताल खोले हुए थे, जहां कोविड मरीजों का इलाज कर रहे थे। निश्चित रूप से कोविड-१९ महामारी में इनका काम और बढ़ गया था। कोविड से रेड क्रॉस संस्था युद्धस्तर पर लड़ी। तब संस्था के लोग बचाव हेतु दुनियाभर में जरूरतमंद लोगों की सेवा में लगे थे। लोगों को मास्क वितरण करना, दस्ताने और सैनिटाइजर बांटते रहे। किसी भी तरह आपदा आने पर इनके लोग चौकन्ने रहते हैं। इनकी तैयारियां जबरदस्त होती हैं। इनके कार्यों से हम सबको भी सीखना चाहिए। वर्ल्ड रेड क्रॉस डे की प्रत्येक वर्ष अलग थीम रखी जाती है। २०२३ की थीम है ‘हम जो कुछ भी करते हैं उसे दिल से करना चाहिए’ निर्धारित की गई है। इस थीम का उद्देश्य मानवता के संरक्षण के लिए कार्य करना है। ये लाइन हमें अपने मानव धर्म की रक्षा करने के लिए प्रेरित करती है।