सामना संवाददाता / लखनऊ
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में अवैध धर्मांतरण के मामले में एटीएस कोर्ट से मोहम्मद उमर गौतम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इसके बाद फतेहपुर में धर्म परिवर्तन के चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। यहां के हिंदू संगठनों का दावा है कि सिर्फ दोआबा इलाके में ही सात हजार से ज्यादा परिवार अवैध धर्मांतरण के जाल में फंसकर इस्लाम व ईसाई धर्म को अपना चुके हैं। जब इसके खिलाफ आवाज उठाई गई तो पुलिस द्वारा ३४ केस दर्ज किए गए थे पर ज्यादातर की जांच लंबित है। बताया जा रहा है कि न सिर्फ श्याम प्रताप सिंह उर्फ उमर गौतम ने धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया बल्कि यहां कई इस्लामिक संगठन और ईसाई मिशनरी के लोगों ने गरीबों, अशिक्षितों को पैसों का प्रलोभन देकर अवैध धर्मांतरण का शिकार बनाया। वर्ष २००१ में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को लेकर दोआबा में खुफिया एजेसियों ने बड़े पैमाने पर धरपकड़ की थी। तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। हालांकि, २००९ में तीनों को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था। इस केस की जांच के दौरान जिले में कई इस्लामिक संगठनों व उनके स्लीपर सेल की मौजूदगी पाई गई थी। खुलासा हुआ था कि संगठन व उनके स्लीपर सेल वाले गरीब हिंदू परिवारों का ब्रेन वॉश कर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करते हैं।