सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कोरोना वायरस को इंसान ने ही बनाया है और यह वुहान प्रयोगशाला से निकलकर पिछले तीन साल से दुनियाभर में कहर बरपा रहा है। चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में काम कर चुके एक वैज्ञानिक के खुलासे ने चीन के झूठ की पोल खोल दी है। इस मामले में अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी सवालों के घेरे में आ सकता है, जिस पर शुरू से ही चीन के दबाव में इसे वैश्विक महामारी घोषित करने में देरी करने का आरोप लगता रहा है। अमेरिकी शोधकर्ता ने अपनी नई किताब में इसका खुलासा करते हुए अमेरिका पर भी आरोप लगाए हैं कि उसी से मिलनेवाले फंड से चीन ने इतनी बड़ी लापरवाही बरती और पूरी मानवता पर संकट मंडराने लगा।
अमेरिका में रहनेवाले और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में काम कर चुके वैज्ञानिक एंड्रयू हफ ने कहा है कि कोरोना एक मानव निर्मित वायरस है और यह वुहान लैब से ही निकला है। ब्रिटिश अखबार द सन को दिए एक बयान में उन्होंने यह दावा किया है, जो खबर के तौर पर न्यूयॉर्क पोस्ट ने भी छापी है।
किताब से खोली चीन की पोल
एपिडेमियोलॉजिस्ट एंड्रयू हफ ने अपनी एक नई किताब ‘द ट्रुथ अबाउट वुहान’ में दावा किया है कि यह महामारी चीन को अमेरिकी सरकार की ओर से कोरोना वायरसों के लिए मिली फंडिंग की वजह से पैदा हुई थी। ‘द सन’ में उनकी किताब के कुछ अंश भी प्रकाशित किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हफ न्यूयॉर्क स्थित इकोहेल्थ अलायंस नामक एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट भी हैं, जो संक्रामक बीमारियों पर रिसर्च करता है।
अमेरिकी फंडिंग है जिम्मेदार
वह संगठन एक दशक से ज्यादा समय से चमगादड़ों में होनेवाले कई कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहा है, जिसकी फंडिंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने की है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ बायोमेडिकल और जन स्वास्थ्य पर रिसर्च के लिए अमेरिका की एक प्रमुख सरकारी एजेंसी है। हफ २०१४ से २०१६ तक इकोहेल्थ अलायंस के साथ काम कर चुके हैं। उनके मुताबिक यह संगठन वर्षों तक ‘चमगादड़ों वाले कोरोना वायरसों को दूसरे प्रजातियों पर हमला करने के लिए बेहतरीन मौजूदा तरीके की डिजाइन’ विकसित करने में वुहान लैब की सहायता कर रहा था।