• अनुसंधान में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी
सामना संवाददाता / मुंबई
कोरोना संक्रमण की शिकार होनेवाली गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चों के लिए बुरी खबर सामने आई है। इससे पहले इसका खुलासा हो चुका है कि यदि गर्भावस्था के दौरान महिला कोरोना से संक्रमित होती है तो उसका बच्चा कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकता है। हालांकि, अब अनुसंधान में एक चौंकानेवाली जानकारी सामने आई है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि गर्भवती महिलाओं के गर्भ पर कोरोना घात करेगा और डिलिवरी के बाद उसके बच्चे में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर विकसित हो जाएगा। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि सार्स कोविड-२ से संक्रमित गर्भवती महिला के प्रसव के बाद पहले १२ महीनों के भीतर बच्चे में यह बीमारी फैल जाएगी।
कोरोना वायरस से प्रभावित गर्भवती महिलाओं को डिलिवरी के बाद होनेवाले बच्चे में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर होने का दोहरा खतरा होता है। मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के शोधकर्ताओं का दावा है कि ये बच्चे जन्म के बाद पहले १२ महीनों में इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। बच्चों में इस बीमारी के मामले ४२ प्रतिशत हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया है कि लड़कियों को इस बीमारी का खतरा नहीं है। इस शोध के शोधकर्ता एंड्रिया एड्लो के अनुसार, सार्स कोविड-२ संक्रमण से लड़ने के दौरान बच्चे को असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
१८ हजार ३५५ बच्चों का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड चेक
पिछले अध्ययनों में जानकारी सामने आई कि गर्भावस्था के दौरान बच्चों में अन्य संक्रमणों और न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर का खतरा बढ़ गया है। इसमें ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का भी पता चला है। उन्होंने सफाई दी कि हालांकि यह स्पष्ट नहीं था कि गर्भावस्था के दौरान सार्स सीओवी-२ संक्रमण से इस तरह का कोई संबंध है या नहीं। इन शोधकर्ताओं ने कोरोना महामारी के दौरान पैदा हुए १८ हजार ३५५ बच्चों का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड चेक करने का दावा किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गर्भावस्था के दौरान सार्स कोविड-२ पॉजिटिविटी वाली ८८३ गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया।
१२ महीनों में न्यूरो डेवलपमेंटल डायग्नोसिस
इन शोधकर्ताओं द्वारा स्पष्ट किया गया है कि एकत्र किए गए नमूने से केवल बच्चों में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार का पता चला है। सार्स कोविड-२ संक्रमण वाले ८८३ बच्चों में से २६ को पहले १२ महीनों के भीतर न्यूरो डेवलपमेंट डायग्नोसिस हुआ था। अन्य बच्चों में से ३१७ को इसका पता नहीं चला। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि टीकाकरण से जोखिम को निर्धारित करने के लिए बहुत कम माताओं का वैक्सीनेशन किया गया था। हालांकि, एंड्रिया एड्लो ने बताया कि इसे स्पष्ट करने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है।