सामना संवाददाता / मुंबई
‘घाती’ सरकार के राज में महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया है। हालत यह है कि २०२४ के पहले आठ महीनों में भ्रष्टाचार के ४९९ मामले दर्ज किए गए। इस तरह देखा जाए तो रोजाना करीब २ मामले दर्ज हो रहे हैं। वैसे ये वे मामले हैं जो पकड़ में आ रहे हैं।
महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, भ्रष्टाचार के ४७२ मामले ट्रैप करके पकड़े गए। ट्रैप मामलों में से अधिकांश राजस्व और भूमि अभिलेख विभागों के कर्मियों से जुड़े थे। इसके बाद पुलिस अधिकारी, जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति के सदस्य शामिल थे। राजस्व और भूमि अभिलेख विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कुल १३४ मामले दर्ज किए गए। पुलिस अधिकारी ८८ मामलों में, पंचायत समिति के सदस्य ४२ मामलों में और जिला परिषद के सदस्य ३२ मामलों में शामिल थे। इसके अलावा, महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ २७ और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ २४ मामले दर्ज किए गए। ट्रैप मामलों में से १८६ में कुल रिश्वत की राशि १.४९ करोड़ रुपए थी। सबसे बड़ी रिश्वत पुलिस अधिकारियों द्वारा मांगी गई, जिसकी कुल राशि ४१.२४ लाख रुपए थी। इसके बाद राजस्व और भूमि अभिलेख विभाग के अधिकारियों ने २१.१३ लाख रुपए की रिश्वत मांगी। जिला परिषद के अधिकारियों ने १४.५७ लाख रुपए और पंचायत समिति के सदस्यों ने ९.६ लाख रुपए की रिश्वत मांगी। राज्य एसीबी ने अत्यधिक संपत्ति से जुड़े २२ मामले दर्ज किए। इन मामलों में बेईमान सरकारी कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों को निशाना बनाया गया। इन मामलों में शामिल कुल राशि १६.४६ करोड़ रुपए थी। इसमें से ३.७२ करोड़ रुपए राजस्व और भूमि अभिलेख विभाग के अधिकारियों से जुड़े थे। नगर निगम, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सिंचाई और शिक्षा विभाग भी इसमें शामिल थे, जिनकी कुल राशि क्रमश: ३.४५ करोड़ रुपए, १.६३ करोड़ रुपए और १.३९ करोड़ रुपए थी।
क्लास थ्री कर्मचारी सबसे भ्रष्ट
क्लास थ्री के सरकारी कर्मचारी सबसे अधिक भष्ट हैं। उन्हें सबसे ज्यादा ट्रैप किया गया। उनके खिलाफ ३४५ मामले दर्ज किए गए। क्लास दो के अधिकारी ७१ मामलों में, क्लास वन के अधिकारी ४६ मामलों में और क्लास फोर के अधिकारी २८ मामलों में शामिल थे।