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संतान की कामना के लिए काशी के चमत्कारी लोलार्क कुंड में दंपत्तियों ने लगाई आस्था की डुबकी

उमेश गुप्ता / वाराणसी

सोमवार को सूर्य षष्ठी के मौके पर दुनिया के प्राचीन नगरों में से एक काशी के भदैनी स्थित चमत्कारी लोलार्क कुंड में लाखों दंपत्तियों ने संतान प्राप्ति की कामना के लिए 50 फीट गहरे कुंड में स्नान किया। इस दौरान पति-पत्नी एक-दूसरे का हाथ पकड़कर डुबकी लगा रहे थे। लोलार्क कुंड में स्नान रविवार की रात 12 बजे से प्रारंभ हुई सुबह 6 बजे तक करीब 1 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। यहां श्रद्धालुओं की लाइन दो दिन पहले से ही लगनी शुरू हो गई थी। रविवार आधी रात में ही करीब 4 किमी लंबी लाइन लग गई थी। स्नान करने के लिए 24 घंटे तक का इंतजार करना पड़ा, तब जाकर स्नान का मौका मिला।

आधी रात 12 बजे कुंड की लोलार्केश्वर महादेव की पूजन-आरती हुई। इस दौरान पूरा परिवेश डमरुओं की डम-डम से गूंज उठा। इसके बाद स्नान शुरू हुआ। कमिश्नरेट पुलिस लाखों की भीड़ को बखूबी नियंत्रित करती दिखी। सुरक्षा संभालने में 5 एडीसीपी और 8 सीओ लगे रहे। स्नान के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु शनिवार रात से ही आने लगे थे। लोलार्क कुंड के पास मुख्य मार्ग के दोनों ओर दूर तक बैरिकेडिंग की गई। आज सोमवार की सुबह 7 बजे तक स्थिति यह थी कि एक तरफ भदैनी से जंगमबाड़ी के आगे तक तो दूसरी ओर लंका तक लाइन लगी रही। सुरक्षा में लगे जवान कुंड में किसी प्रकार की भगदड़ न हो उसके लिए एक साथ 50 लोगों को भेज रहे थे।

मान्यता के अनुसार, यहां पर स्नान के बाद आस्थावान लोग अपना पहनकर आया कपड़ा और एक फल का त्याग कर रहे थे। वहीं, अगर स्नान के बाद उन्हें पुत्र या पुत्री रत्न की प्राप्ति हो गई तो फिर मुंडन संस्कार के लिए भी उन्हें यहां आना होगा। खास बात यह है कि आसपास के रहने वाले यहां पर कई लोग अपने रिश्तेदारों जैसे कि बहू-बेटी, बेटी- दामाद, बहन, साला की पत्नी, दूसरों की बहन आदि के लिए भी मनौती मानकर आए थे।

लोलार्क कुंड के मान्यता और इसके साइंटिफिक कनेक्शन पर 40 साल से स्टडी कर रहे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व जियो साइंटिस्ट प्रोफेसर राणा पीबी ने बताया कि इस कुंड का आकार, सूरज की किरणें और गंगाजल सब कुछ एक खास संयोग बनाते हैं। 1995 में हुए सर्वे के दौरान यह पता चला है कि इस कुंड में स्नान करने के बाद 60 प्रतिशत लोगों की गोद भरी है। वे लोग अगले साल अपनी मनौती को पूरा करने यहां आते हैं। प्रोफेसर राणा पीबी सिंह ने बताया कि साल 2020 में हुए सर्वे के बाद यह घटकर 35प्रतिशत पर आ गया है। करीब 22 हजार स्नानार्थियों पर सर्वे किया गया था। सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि उन्हें शादी को 5-7 साल हो गए। मगर बच्चा नसीब नहीं हुआ। लोलार्क कुंड में स्नान के 1-2 साल के अंदर ही सूनी कोख भर गई।

लोलार्क षष्ठी पर उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने डायवर्जन लागू किया था। गंगा की ओर जाने वाले अस्सी से गोदौलिया मार्ग को नो व्हीकल जोन घोषित किया गया। एडीसीपी ट्रैफिक के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा से अस्सी चौराहा, नगवा चौराहा से रविदास घाट, पद्यश्री चौराहा से अस्सी चौराहा तक, शिवाला चौराहा से अस्सी चौराहा तक और रविंद्रपुरी स्थित ब्राडवे होटल से सोनारपुरा तक और सोनारपुरा से अस्सी चौराहा तक, गोदौलिया से सोनापुरा तक नो व्हीकल जोन घोषित किया गया था।

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