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महायुति सरकार का क्रेडिट कारनामा … लाडली बहन योजना के विज्ञापन पर फूंके २०० करोड़!

बुनियादी सुविधाओं का अभाव, सरकार कर रही पैसे बर्बाद
रामदिनेश यादव / मुंबई
महाराष्ट्र प्रदेश की जनता शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवनयापन करते हुए मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन यह शिंदे सरकार राज्य में फिजूलखर्ची को ज्यादा महत्व दे रही है। काम कम और क्रेडिट के लिए शोर ज्यादा मचा रही है। सिर्फ लाडली बहन योजना के लिए इस सरकार ने २०० करोड़ रुपए फूंक दिए हैं। सरकार का इतना बड़ा फंड केवल विज्ञापन पर फूंकना गंभीर सवाल खड़े करता है। इस योजना को एक चुनावी स्टंट के रूप में इस्तेमाल करते हुए यह सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए कर रही है।
इतने बड़े पैमाने पर अपने विज्ञापन पर खर्च करने के चलते शिंदे-फडणवीस सरकार की प्राथमिकताएं अब सवालों के घेरे में हैं। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा दिए गए एक आरटीआई के जवाब में खुलासा हुआ है कि मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना के विज्ञापन और प्रचार-प्रसार पर लगभग २०० करोड़ रुपए (रुपए १९९,८१,४७,४३६) खर्च किए गए हैं। लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने की योजना का यह पैसा सिर्फ प्रचार में उड़ाया गया है।
आश्चर्य की बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर प्रचार के बावजूद, इस योजना के वास्तविक लाभार्थियों की संख्या पर कोई ठोस आंकड़ा सामने नहीं आया है। क्या यह पैसा सिर्फ बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स पर खर्च हो गया है, जबकि जमीनी स्तर पर इसका कोई ठोस असर दिखाई नहीं दे रहा?
विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी इस खुलासे पर सरकार की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस के नेता सचिन सावंत ने कहा कि जब राज्य आर्थिक संकट से गुजर रहा है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं और बेरोजगारी चरम पर है, तब इतना पैसा केवल प्रचार पर खर्च करना जनता के साथ अन्याय है।
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में डिजिटल विज्ञापनों पर पांच दिनों के भीतर लगभग ९० करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई है, जिससे प्रतिदिन १८ करोड़ रुपए का खर्च आता है। विपक्ष इस पर काफी नाराजगी जताते हुए जमकर आलोचना की है। साथ ही इस राशि को सार्वजनिक कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करने की विपक्ष ने मांग की है।

 

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