मुख्यपृष्ठअपराधउत्तर के माफिया! माफिया का मोबाइल और मगजमारी!

उत्तर के माफिया! माफिया का मोबाइल और मगजमारी!

जय सिंह

२०२३ में सोशल मीडिया पूरी तरह से अपने शबाब पर है, लेकिन ऐसे समय में भी एक ऐसा माफिया है, जो अपने पास मोबाइल तक नहीं रखता है। उसकी ये आदत पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होती है। इससे वह हमेशा पुलिस की गिरफ्त में आने से बच जाता है। कई वर्षों तक पुलिस इस माफिया को पकड़ नहीं पाई थी और जमानत पर छूटने के बाद वह एक बार फिर भूमिगत हो गया है। हम किसी और की नहीं बल्कि हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ६९ वर्षीय कुख्यात माफिया सुशील मूंछ की बात कर रहे हैं। पिछले दिनों सुशील मुंछ से जुड़ा एक हैरान करनेवाला मामला तब सामने आया था जब माफिया मूंछ आत्मसमर्पण करने वेaâ लिए अचानक कोर्ट पहुंच गया। वह वहां घंटो बैठा रहा लेकिन उसे कोई पहचान नहीं पाया। लेकिन जैसे ही उसने कटघरे में पहुंच कर अपना नाम बताया वहां मौजूद पुलिसकर्मियों में हडकंप मच गया। उसका रिकॉर्ड निकालने पर पता चला कि मूंछ वही माफिया है जिसके लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पुलिस मुज्जफरनगर जिले में कुछ दिन पहले डुगडुगी बजा रही थी। प्रशासन एलान कर रहा था कि मथेडी गांव के निवासी कुख्यात माफिया सुशील मूंछ की ९० करोड़ की संपत्ति कुर्क करके नीलाम की जाएगी।

गौरतलब हो कि ८० के दशक में सुशील मूंछ एक ऐसा नाम हुआ करता था, जिसके बारे में सुनकर बड़े-बड़े अधिकारी कांप जाते थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस माफिया ने ८० के दशक में पहला अपराध किया था। इसने लगभग ५० साल पहले भैंसी के कलीराम की हत्या से क्राइम की दुनिया में कदम रखा था, लेकिन उस केस में उसका नाम नहीं खुला था। पुलिस ने अब तक माफिया सुशील मूंछ की कुल ९० करोड़ की संपत्ति जप्त की है। इनामी मूंछ पर उत्तराखंड और वेस्ट यूपी में कई बड़ी वारदातों को अंजाम देने का आरोप है।
पुलिस के मुताबिक, दिल्ली पुलिस के एक रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर के बेटे मूंछ के खिलाफ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा में ५२ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से १७ हत्या और १० हत्या के प्रयास के मामले शामिल हैं। ८० के दशक के मध्य में पुलिस के पास मूंछ की कोई तस्वीर न होने के कारण आपराधिक जीवन में पहली वारदात को अंजाम देने के ३९ साल बाद २०१२ में पहली बार उसे पुलिस गिरफ्तार कर सकी। गैंगस्टर के मुकदमे में आंबेडकरनगर जेल में बंद अंतरराज्यीय माफिया डॉन सुशील मूंछ जमानत पर छूटकर अंडरग्राउंड हो गया। मूंछ इस समय कहां है, किसी को इसकी जानकारी नहीं है। आपराधिक दुनिया में बड़ी धमक रखनेवाले सुशील मूंछ पर ४३ साल के दौरान हत्या, लूट और रंगदारी आदि के ५३ मुकदमे दर्ज हैं।दरअसल, भोपा पुलिस थाने में २००३ में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में कोर्ट ने सुशील सिंह उर्फ मूंछ के लिए गैर जमानती वारंट जारी किए थे, जिसके बाद मूंछ ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। ८ जनवरी २०२२ को सुशील मूंछ को जिला जेल से आंबेडकरनगर जेल शिफ्ट कर दिया गया था। ३ फरवरी २०२२ को गैंगस्टर कोर्ट से मूंछ की जमानत खारिज हो गई थी। तब से सुशील मूंछ आंबेडकरनगर जेल में ही बंद था। मूंछ पर हत्या के १२ मुकदमे दर्ज हैं।

जानकारी के मुताबिक, गैंगस्टर कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद सुशील मूंछ की जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी, जहां से उसकी जमानत स्वीकार होने के बाद ६ अगस्त २०२२ को आंबेडकरनगर जेल से उसकी रिहाई हो गई थी और बाद में मूंछ जेल से रिहा होकर अंडरग्राउंड हो गया। उसके बाद से आज तक किसी को मूंछ के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जनपद मेरठ में डबल मर्डर और शहर के पचेंडा रोड पर हुई डेयरी संचालक की हत्या में आपराधिक साजिश रचने के आरोप में पुलिस को फिलहाल मूंछ की तलाश है। २४ जनवरी, २०१८ को मेरठ के परतापुर थाना क्षेत्र के सोहरखा गांव में बलविंदर और उसकी मां निछत्तर कौर की गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। बलविंदर अपने पिता नरेंद्र की २०१६ में हुई हत्या की पैरवी कर रहा था। मूंछ ने मध्यस्थता करते हुए नरेंद्र हत्याकांड में समझौता करा दिया था, लेकिन ऐन वक्त पर बलविंदर पीछे हट गया था। इसके चलते सोहरखा में दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। जांच के दौरान मेरठ पुलिस ने मूंछ को सोहरखा डबल मर्डर की आपराधिक साजिश रचने का आरोपी मानते हुए उसकी तलाश शुरू कर दी थी, तब से ही सुशील मूंछ फरार चल रहा है। एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि गैंगस्टर सुशील मूंछ की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस प्रयासरत है। उसकी लोकेशन नहीं मिल पा रही है। फिलहाल मूंछ पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित है। इनाम की धनराशि एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपए करने की प्रक्रिया चल रही है।
(अगले अंक में… मुलायम को चैलेंज कर खत्म कर ली अपनी माफिया गिरी!)

अन्य समाचार