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म्यांमार में संकट : भारत की बढ़ी चिंता … भारतीय सीमा में जान बचाकर भागे म्यांमार के सैनिक

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
भारत का मिजोरम एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार इसकी वजह यहां के समुदाय या उनके बीच का झगड़ा नहीं, बल्कि पड़ोसी देश म्यांमार है। हकीकत तो यह है कि असल मुद्दा म्यांमार है और घटनाक्रम से भारत चिंतित है और स्थिति पर बारीक नजर बनाए हुए है। हुआ यह है कि पिछले महीने से म्यांमार की जुंटा सैन्य सरकार के खिलाफ सक्रिय बलों ने सेना पर हमले करने शुरू किए हैं, जिसके बाद से म्यांमार में खासी उथल-पुथल हो गई है। दरअसल, म्यांमार में विद्रोही समूह की ओर से चीन की सीमा से लगे पूर्वोत्तर राज्य शान में चलाए जा रहा ऑपरेशन १,०२७ की वजह से म्यांमार में स्थानीय लोगों के साथ सेना तक को भागना पड़ा है। इससे जहां ६ हजार से ज्यादा लोग भारत से लगे मिजोरम राज्य में शरणार्थी के तौर पर घुस आए तो वहीं ४५ म्यांमार सैनिक भी भारतीय सीमा में घुस चुके हैं। इस बार के संघर्ष में म्यांमार की सेना भी बैकफुट की स्थिति में दिख रही है। इस संघर्ष से भारत को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
म्यांमार के कई हिस्सों में आक्रामक हुए विद्रोही
म्यांमार के विद्रोही गुट नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस आर्मी (एमएनडीएए), अराकान आर्मी और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए) नाम के तीन संगठनों ने ऑपरेशन १,०२७ लॉन्च किया है, जिसके सफलता के बाद इसी तरह के कई अभियान म्यांमार के दूसरे हिस्सों में भी शुरू किए गए हैं। विद्रोही समूहों ने सैन्य ठिकानों और भारतीय सीमा से लगे चीन एवं सटे राज्यों के साथ सागैंग इलाके के व्यापार मार्गों पर हमले किए हैं।
भारत के मिजोरम और मणिपुर में शरणार्थी
यही कारण है कि भारतीय सीमा के पास हुई उथल-पुथल के कारण बड़ी संख्या में लोग पास के भारतीय राज्य मिजोरम में घुस आए और सैन्य तंबुओं पर हुए हमले की वजह से भागे हुए ४५ सैनिक भी मिजोरम में घुस गए। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तीखी झड़पों की वजह से करीब ९० हजार लोग विस्थापित हुए हैं। बताया जा रहा है कि समूहों ने अपने पूर्व में चले आ रहे भेदभावों को ताक पर रख एकजुट होकर म्यांमार की सेना पर हमला किया है।
क्या है इन झड़प का मकसद
इन हमलों का मुख्य लक्ष्य प्रमुख सैन्य इलाकों के साथ चीन और भारत के साथ लगनेवाले व्यापारिक मार्गों पर कब्जा करना था। जहां भारत के साथ लगी म्यामांर की सीमा कम है। विद्रोहियों चिनश्वेहा पर कब्जा कर लिया है, जिससे हर साल चीन के साथ १.८ अरब डॉलर का व्यापार होता है। माना जा रहा है कि आनेवाले समय तक यह सैन्य संघर्ष जारी रहेगा। इसका भारत पर भी गहरा असर होने की संभावना है।
भारत से कनेक्शन?
जहां मणिपुर के मैतेई समुदाय के उग्रवादी समूह म्यांमार के सांगैंग में देखने को मिलते हैं, वहीं कुकी समुदाय का म्यांमार के चीन समुदाय से संबंध रहे हैं। इन समूहों को म्यांमार की जुंटा सरकार का समर्थन हासिल है। इसका स्पष्ट मतलब है कि म्यांमार की बिगड़ती स्थिति भारत के मणिपुर और मिजोरम में तनाव के हालात पैदा कर सकती है, लेकिन इसके अलावा केवल भारत के इन राज्यों में शरणार्थियों का आना ही एक बड़ी समस्या है।

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