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महाराष्ट्र में बैंकों से करेंसी गायब …कैश के लिए इधर-उधर भटक रहे लोग

कहां गए नोट? पूछ रहे हैं लोग
सुनील ओसवाल / मुंबई
लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में लोगों को यह कहने का मौका मिल गया है कि देश में नोट किसी के पास चले गए। चुनाव के दौरान शादियों की धूम और यात्रा उत्सव का समय होने के कारण खूब खरीदारी होती है, लेकिन पैसा नहीं मिल रहा है। आम और मध्यम वर्ग के खातों में फिलहाल पैसे हैं, लेकिन बैंकों में वैâश नहीं होने के कारण ग्राहकों को बैंकों से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है, वहीं रिजर्व बैंक भी वैâश मुहैया कराने के लिए आगे आया है। ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि सोना गिरवी रखने के बावजूद ग्राहकों को बैंक से समय पर पैसे नहीं मिल रहे हैं। हालांकि, इस सबकी वजह लोकसभा चुनाव की आचार संहिता है, लेकिन बैंकर्स इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक, राज्य में वर्ष २०१७-१८ में शहरों और गांवों में विभिन्न बैंकों के २५,६५१ एटीएम थे, पिछले पांच वर्षों में इसमें भारी वृद्धि हुई है और इन एटीएम से हर दिन करोड़ों रुपए निकाले जाते हैं, क्योंकि जन-धन योजना और डिजिटल इंडिया से हर व्यक्ति बैंक से जुड़ा है।
पिछले कुछ सालों में बैंक का विस्तार हुआ है। नतीजतन, देश में लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में शादियों का शोर है तो यात्रा उत्सव का समय होने के कारण खरीदारी जोरों पर है। राज्य में कहा जाता है कि भारतीय स्टेट बैंक के करेंसी चेस्ट (जिन बैंकों से दूसरे बैंकों को वैâश दिया जाता है) से वैâश दिया जाता है। हालांकि, एक तस्वीर यह भी है कि रिजर्व बैंक भी कुछ दिनों से नकदी देने में हाथ खड़े कर रहा है। इसका असर सभी बैंकों के नकद लेन-देन पर पड़ता दिख रहा है।
करोड़ों को चाहिए लाखों
महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में बैंकों से मांग के मुताबिक नकदी नहीं मिलने की शिकायतें आ रही हैं। बताया जा रहा है कि बैंक की वैâश डिमांड भले ही करोड़ों की है, लेकिन भुगतान लाखों रुपए का किया जा रहा है। जिले में सोना बैंक में गिरवी रखने के कारण ऋण की रकम चुकाने के लिए नकदी नहीं होने से ग्राहकों को ऋण के बाद भी नकदी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
व्यापारियों में भय
बड़े कारोबारियों का रोजाना लाखों रुपयों का लेन-देन होता है। हालांकि, अब चुनाव आचार संहिता लग गई है तो व्यापारी रकम चुकाने के लिए बैंक जाने से भी डर रहे हैं। ऐसे में बैंकों के लिए मुद्रा का दूसरा (व्यापारी) स्रोत भी बंद हो गया है।
नवंबर महीने से मुद्रा की कमी
दिक्कत बैंकों से है, क्योंकि आरबीआई ने जनवरी से करेंसी की सप्लाई पूरी तरह बंद कर दी है और एक रुपए की भी सप्लाई नहीं हुई है। नतीजतन, १००, २०० और ५०० के नोटों का प्रचलन कम हो रहा है, जिससे बैंकों और नागरिकों को लेन-देन में बड़ी कठिनाई हो रही है।

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