नौशाबा परवीन
हालांकि, हमास के ६२-वर्षीय टॉप राजनीतिक नेता इस्माइल हानिया का बातचीत करने का लहजा सख्त था, लेकिन अधिकतर डिप्लोमेट्स उन्हें शेष हमास लीडरशिप की तुलना में नरमपंथी मानते थे और संभवत: यही कारण था कि वह गाजा में युद्धविराम की वार्ता में शामिल थे, जिसकी मध्यस्थता मिस्र, कतर व अमेरिका कर रहे थे। अब तेहरान में हानिया की हत्या के बाद कतर व मिस्र ने कहा है कि इससे गाजा में शांति स्थापित करने के प्रयास पटरी से उतर जाएंगे, जबकि विश्व नेताओं व डिप्लोमेट्स ने हत्या की निंदा करते हुए चिंता व्यक्त की है कि इस मौत से पश्चिम एशिया में हिंसा में वृद्धि होगी, बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ सकता है। ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने हानिया की मौत का बदला लेने की जिम्मेदारी तेहरान पर डालते हुए कहा है कि ‘इजराइल का कातिल व आतंकी शासन गंभीर सजा की उम्मीद रखे’, जबकि दूसरी ओर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ‘अगर किसी भी मोर्चे पर हमारे विरुद्ध कोई आक्रामकता हुई तो उसकी भारी कीमत चुकानी होगी।’
पश्चिम एशिया में जो महीनों से तनावपूर्ण व हिंसक हालात बने हुए हैं और गाजा में मासूमों का नियमित नरसंहार जारी है, जिसे रोकने के लिए तुर्की ने इजरायल में प्रवेश करने की धमकी दी है, उसे मद्देनजर रखते हुए इन नेताओं की बयानबाजियों को कोरी धमकी या लफ्फाजी कहकर अनदेखा नहीं किया जा सकता। पश्चिम एशिया बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है, जिसमें किसी भी समय विस्फोट हो सकता है। अगर विश्व नेताओं ने जल्द इस आग को ठंडा न किया तो इसकी आंच उन मुल्कों में भी महंगाई आदि के रूप में महसूस की जाएगी, जिनका प्रत्यक्ष रूप से पश्चिम एशिया के टकराव से कुछ लेना-देना नहीं है। हानिया का जन्म १९६२ में गाजा के शरणार्थी वैंâप में हुआ था। उनके पेरेंट्स को १९४८ में अपने गृह नगर (जोकि अब इजरायल का अश्केलोन शहर है) से जबरन बाहर खदेड़ दिया गया था। हानिया को १९८० व १९९० के दशकों में अनेक बार जेलों में रहना पड़ा और १९८८ में वह हमास के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उनकी २००३ में भी हत्या की कोशिश की गई थी। वह २००६ में गजा में हमास के नेता बने और उसी साल कुछ समय के लिए फिलिस्तीन एकता सरकार में प्रधानमंत्री भी थे। फतह से मतभेद होने के कारण यह सरकार गिर गई थी।
हानिया २०१७ में हमास के राजनीतिक नेता बने और कतर व तुर्की के बीच में शटल करने लगे। वह कतर, मिस्र व अमेरिका के साथ मिलकर गाजा में युद्धविराम के लिए वार्ता में शामिल थे। अप्रैल २०२४ में गजा सिटी के निकट इजरायल के हमले में उनके ३ बेटे व कई पोता-पोती मारे गए थे। जून में गजा के उनके पारिवारिक घर पर हमला हुआ, जिसमें उनकी बहन का निधन हुआ। मई में आईसीसी प्रोसीक्यूटर ऑफिस ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट की मांग की थी। तेहरान में ३१ जुलाई २०२४ की सुबह २ बजे हवाई प्रोजेक्टाइल से हानिया की हत्या से पश्चिम एशिया की उथल-पुथल स्थिति में जटिलता की एक और परत जुड़ गई है। हानिया तेहरान में ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए गए थे, जिसमें उन्हें ताली बजाते हुए भी देखा गया और अपनी हत्या से पहले उन्होंने ईरान के टॉप लीडरों से भी मुलाकात की थी।
दोनों तेहरान व हमास ने इस हत्या के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है। हालांकि, ३१ जुलाई २०२४ को बेरूत में हिजबुल्ला के सैन्य कमांडर फुआद शुकर की हत्या की जिम्मेदारी इजरायल ने ली है कि उसी ने ही मिसाइल दागी थी, लेकिन हानिया की हत्या पर इजरायल ने कोई कमेंट नहीं किया बल्कि कहा है कि वह शांति वार्ता के लिए समर्पित है। यह बात भी सही है कि इजरायल अपनी इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद से जो हत्याएं कराता है या दूसरे देशों में स्ट्राइक कराता है, उन पर वह टिप्पणी करने से अक्सर बचता है, लेकिन इसके बावजूद कुछ सवाल हैं जिनका जवाब सामने नहीं आ रहा है। यह बात तो लगभग स्पष्ट ही है कि हानिया की हत्या का मकसद युद्धविराम व शांति वार्ता को पटरी से उतारना है ताकि पश्चिम एशिया में हिंसक तनाव बना रहे। लेकिन सवाल यह है कि हानिया की हत्या किसने की? तेहरान में जहां हानिया ठहरे थे, वह हाई-सिक्यूरिटी बिल्डिंग है। उस बिल्डिंग में फिलिस्तीन के इस्लामिक जिहाद नेता जियाद-अल-नखालाह भी मौजूद थे। लेकिन निशाना सिर्फ हानिया को ही बनाया गया।
पिछले सप्ताह फिलिस्तीन के १४ गुटों की बैठक बीजिंग में हुई थी जिनमें हमास व फतह भी थे, बताया जाता है कि वह सैद्धांतिक दृष्टि से आपसी एकता पर सहमत हो गए थे। यह बात भी काफी समय से पब्लिक डोमेन में थी कि हानिया के नेतृत्व वाली हमास की राजनीतिक शाखा और गाजा में हमास की सैन्य शाखा के बीच मतभेद चल रहा था। इस पृष्ठभूमि में एकता वार्ता तेहरान के स्ट्रेटेजिक हितों की पूर्ति नहीं करती है- वह गाजा में हमास को अपने उस औजार के रूप में देखता है, जो तेलअवीव को असंतुलित रखता है। क्या हानिया इस प्रकार की रणनीति का शिकार हुए हैं? यह हत्या उस समय हुई है जब इजरायल और लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्ला के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, विशेषकर उत्तरी इजरायल में रॉकेट हमले के बाद जिसमें १२ मासूम बच्चे मारे गए। बदले में तेलअवीव ने दक्षिण बेरूत पर हमला किया जिसमें हिजबुल्ला के एक कमांडर की मौत हुई। अगर इजरायल और हिजबुल्ला में हो रहे छिटपुट टकराव खुले युद्ध में बदल जाते हैं तो गाजा में जो इस समय टकराव व मौतों का सिलसिला जारी है, वह बहुत मामूली त्रासदी प्रतीत होगा।
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)