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सायबर क्राइम का जाल, सावधानी ही बचाव!

-मुंबई में २०२३ में ४,००० से ज्यादा हुए शिकार

अनिल भारतीय

कुछ साल पहले नेटफ्लिक्स पर `जामतारा’ नाम से वेब सीरीज आई थी, जिसमें सायबर धोखाधड़ी के विषय में बहुत विस्तार से बताया गया था। इसके अलावा आए दिन हम रोज न्यूज पेपर से लेकर समाचार चैनलों में सायबर धोखाधड़ी के विषय में प़ढ़ते और सुनते रहते हैं। सायबर धोखाधड़ी के शिकार सिर्फ आम आदमी ही नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे लोग और कानून के रखवाले सभी होते हैं। बता दें कि २०२३ में मुंबई में ४,००० लोग तो २०२४ में अभी तक सायबर क्राइम के २०० से ज्यादा लोग शिकार हो चुके हैं।
सायबर धोखाधड़ी के शिकार नेता, अभिनेता, अभिनेत्री से लेकर सब होते रहते हैं। जब कोई नामचीन हस्ती इसकी शिकार होती है तो खबर बन जाती है और जब आम आदमी होता है तो कोई खबर नहीं बन पाती है। पिछले कई सालों से सायबर धोखाधड़ी के मामले दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं। सायबर धोखाधड़ी के मामले में कानून बनाने वाली एजेंसियां अगर डाल डाल हैं तो साइबर धोखाधड़ी करने वाले लोग पात-पात हैं।
सायबर धोखाधड़ी के प्रकार
सायबर धोखाधड़ी में कॉस्टिंग फ्रॉड, अमेजन फ्रॉड, ओएलएक्स फ्रॉड, न्यू ईयर फ्रॉड, स्क्रीन शेयर फ्रॉड, कस्टम गिफ्ट फ्रॉड, खरीदी फ्रॉड, केबीसी फ्रॉड, लोन फ्रॉड, मैट्रिमोनियल फ्रॉड, फोटो मॉर्फिंग, सेक्सटॉर्शन जैसे फ्रॉड किए जाते हैं।
मुंबई में १,००० मामले सुलझाए गए
सन् २०२३ के अंत तक ४,००० से ज्यादा साइबर धोखाधड़ी के मामले सिर्फ मुंबई शहर में दर्ज किए जा चुके हैं, जिसमें १,००० से ज्यादा मामले सुलझाने में पुलिस को सफलता मिल चुकी है। दादर पुलिस स्टेशन के सायबर सेल के पुलिस उपनिरीक्षक तृप्ति टाकवले और पूजा गंगने ने बताया कि सायबर क्राइम पर रोक लगाने के लिए नागरिकों में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि मुंबई में सायबर धोखाधड़ी से पीड़ित व्यक्ति के साथ धोखा करने वाला व्यक्ति दूसरे राज्य का रहता है और वो दूसरे के नाम का सिम और बैंक अकाउंट उपयोग करता है, जिससे असली अपराधी को पकड़ना मुश्किल हो जाता है। दादर पुलिस स्टेशन में ही इस साल अभी तक २०० से अधिक सायबर धोखाधड़ी के मामले आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि फेक फेसबुक प्रोफाइल बनाकर, बैंक केवायसी वेरिफिकेशन के नाम पर, प्रवर्तन निदेशालाय, मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे केस और ऑनलाइन गूगल सर्च के नाम पर धोखाधड़ी की जा सकती है।
हेल्पलाइन नंबर पर करें कॉल
केंद्र सरकार के गृहमंत्रालय से लेकर हर राज्य की सरकारों के बहुत कोशिशों के बावजूद सायबर धोखाधड़ी नियंत्रण में आने की बजाय हर दिन बढ़ती ही जा रही है। इस धोखाधड़ी से बचने के लिए सावधानी और जागरूकता की जरूरत है। सायबर धोखाधड़ी से सावधानी ही बचाव है। बता दें कि केंद्र सरकार ने १९३० हेल्पलाइन बनाकर लोगों से सायबर धोखाधड़ी के विषय में तुरंत जानकारी देने के लिए कहा है। जब इस नंबर पर पीड़ित व्यक्ति कॉल करता है तो सबसे पहले ट्रांजैक्शन आईडी लेकर पैसे के लेन-देन को रोकने के लिए सायबर सेल द्वारा बैंक को सूचित किया जाता है। सायबर सेल पर जितनी जल्दी रिपोर्ट की जाती है, उतनी ही ज्यादा जल्दी पैसे के रिकवरी होने की उम्मीद रहती है।

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