सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा के प्रमुख अस्पतालों में से एक नायर अस्पताल में सेवा दे रहे दिहाड़ी श्रमिकों को पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। इस वजह से श्रमिकों की माली हालत खराब हो गई है। आलम यह है कि वेतन न मिलने से उनका परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है। घर की स्थिति को देखते हुए मजबूर ७४ श्रमिकों ने भूख हड़ताल शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई मनपा के नायर अस्पताल में वर्ष २००९-२०१० से सेवारत ७४ श्रमिक न्यूनतम वेतन पर दिहाड़ी मजदूरी के रूप में काम कर रहे हैं। हालांकि, इन श्रमिकों को अक्टूबर से लगातार तीन महीने का वेतन नहीं मिला है। वेतन की अदायगी को लेकर श्रमिकों द्वारा मनपा प्रशासन से बार-बार गुहार लगाई गई, इसके बावजूद उन्हें वेतन नहीं मिला। इसके साथ ही कोई संतोषजनक जवाब तक मनपा प्रशासन की ओर से नहीं मिला। आखिरकार म्यूनिसिपल मजदूर यूनियन ने नायर अस्पताल प्रशासन के संबंधित अधिकारियों से इस पर चर्चा की। इस बीच बताया गया कि तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा निदेशक और मुख्य अस्पतालों का कार्यालय केईएम अस्पताल में था। वहां से ७४ दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों की फाइल गायब हो गई है। बताया गया कि इसीलिए मुंबई मनपा के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के उपायुक्त, अतिरिक्त आयुक्त और मनपा आयुक्त की मंजूरी लेने में देरी हो रही है। नायर अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया है कि इसी वजह से श्रमिकों को वेतन देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बिना गलती के मिल रही सजा
श्रमिकों को बिना किसी गलती के सजा के तौर पर तीन महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है। इस वजह से भूखे मरने की नौबत आ गई है। उनके सामने यह समस्या पैदा हो गई है कि आखिरकार वे घर का खर्च, बच्चों के स्कूल की फीस का भुगतान और माता-पिता की दवाइयों पर आनेवाला खर्च वैâसे वहन करें। मांग की गई है कि प्रशासन को इन ७४ श्रमिकों को अक्टूबर से दिसंबर २०२४ तक का वेतन तुरंत भुगतान करने का निर्देश दिया जाए। इस तरह की मांग म्युनिसिपल मजदूर यूनियन के सह सचिव प्रदीप नारकर ने नायर अस्पताल के डीन से की है।