• २०० रुपए पहुंच सकती है दाल
• जीरे में दोगुने से ज्यादा उछाल
दो महीने पहले अरहर की दाल की कीमत ९५ से ११० रुपए प्रति किलो थी। अब यह १४० से १५० रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई है। देश में सबसे अधिक खपत अरहर की दाल की होती है। कुल खपत में अरहर और उड़द की दाल की हिस्सेदारी ६० फीसदी के करीब है।’
केंद्र सरकार की ओर से महंगाई काबू में करने के दावे और आंकड़े आ रहे हैं, पर सच तो यह है कि खाद्य वस्तुओं के दाम रोज उछल रहे हैं। दाल-चावल-सब्जियां और मसाले से लेकर दूध तक महंगे होते जा रहे हैं और सरकार आंखें मूंदकर बैठी है। गेहूं के दाम भी इस साल खूब बढ़े हैं। इस साल औसतन गेहूं के दाम १० रुपए बढ़े हैं। सबसे ज्यादा दाल में आग लगी हुई है। यही वजह है कि अब सरकार दाल का बफर स्टॉक बाजार में उतारने जा रही है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार जब तक आयातित अरहर की दाल खुले मार्केट में नहीं आती है, तब तक सरकार इसे जारी रखेगी। अरहर की दाल का आयात मुख्य तौर पर म्यांमार और तंजानिया, मोजाम्बिक और सूडान जैसे पूर्वी अफ्रीकी देशों से किया जाता है। इन देशों से अरहर की दाल जुलाई के अंत या अगस्त माह में आने की संभावना है। हिंदुस्थान दालों का एक बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक है और यह आयात के माध्यम से अपनी खपत की जरूरतों के एक हिस्से को पूरा करता है। यहां मुख्य रूप से अरहर, चना, मसूर, उड़द और काबुली चने का सेवन किया जाता है। साल २०२२-२३ फसल सीजन में अरहर की दाल का उत्पादन करीब ३७ लाख टन होने की संभावना है, जबकि इसकी कुल डिमांड ४८ से ५० लाख टन के करीब है। अगर आयातित दालें अगस्त तक खुले मार्वेâट में नहीं आ सकीं तो अरहर की दाल की कीमत २०० रुपए तक जा सकती है। अगस्त से फेस्टिव सीजन शुरू हो जाएगा तो इसकी डिमांड में २० से ३० फीसदी की बढ़ोतरी हो जाएगी।
इसी तरह एक तरफ सरकार जहां दालों के दामों को कंट्रोल करने में लगी है, वहीं अब चावल की बढ़ती कीमतों ने परेशानी बढ़ा दी है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार चावल की औसत कीमत ४५ रुपए प्रति किलो है, जो पिछले साल की तुलना में करीब १० फीसदी ज्यादा है। जानकारों का मानना है कि अगर मॉनसून सामान्य नहीं रहा, बुवाई में कमी हुई और अल नीनो का असर देखने को मिला तो चावल के थोक और रिटेल दामों में इजाफे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
जीरा जला रहा है दिल
इस साल मसालों की कीमतों में भी काफी उछाल आया है। २५ से ३० फीसदी कीमतें बढ़ चुकी हैं। मगर ग्राहकों का सबसे ज्यादा दिल जीरा ने जलाया है। खुद व्यापारियों का कहना है कि जीरे की कीमतों में इतना उछाल कभी नहीं देखा गया। पिछले वर्ष इसका दाम ४०० रुपए किलो के आसपास था, लेकिन इस वर्ष ८४० से ९०० रुपए प्रति किलो थोक में उपलब्ध है। सूखी लाल मिर्च बीते वर्ष २८० रुपए प्रति किलो के आसपास मिल रही थी। अब दाम ४०० से ५०० रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए हैं।
टमाटर हुआ ‘लाल’
टमाटर भी लाल होकर आंखें दिखा रहा है। खुदरा बाजार में टमाटर १०० से १२० रुपए प्रति किलो बिक रहा है। थोक में टमाटर ७५ से ९० रुपए किलो बिक रहा है। टमाटर विक्रेताओं का कहना है कि मंडियों में टमाटर की आवक कम है और २ से ३ महीने तक यही स्थिति बनी रहेगी। व्यापारियों का कहना है कि टमाटर के भाव २ से ३ महीने इसी तरह बढ़े रहेंगे। यदि भाव में अंतर भी होगा तो १० से ५ रुपए से ज्यादा का अंतर सामने नहीं आएगा।
कई बार बढ़े दूध के दाम
हाल के महीनों में दूध की कीमतें कई बार बढ़ी हैं। पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा, ‘मैं निश्चित रूप से स्वीकार करूंगा कि दूध की कीमतों में वृद्धि हुई है। सरकार दूध उत्पादन और उपलब्धता बढ़ाकर समस्या का समाधान करने की पूरी कोशिश कर रही है।’ अमूल और मदर डेयरी जैसे प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ताओं ने किसानों से दूध की बढ़ती खरीद लागत का हवाला देते हुए पिछले एक साल में दूध की कीमतों में कई बार बढ़ोतरी की है। मदर डेयरी ने मार्च और दिसंबर २०२२ के बीच दूध की कीमतों में १० रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है।