योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
जिले के ग्रामीण इलाकों की सूरत अब तक नहीं बदल सकी है। खस्ताहाल सड़कों की मार गांव में रहने वाले आदिवासियों पर पड़ती है। कई ऐसे गांव हैं, जहां बारिश के कारण सड़क के टूट जाने और नदियों-नालों में पानी बढ़ने से महिलाओं को कई दिनों तक प्रसव पीड़ा झेलनी पड़ती है। जिले में जारी मूसलाधार बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इसके कारण कई जगहों पर यातायात मार्ग भी अवरुद्ध हो गए हैं। परिणामस्वरूप जिले के विक्रमगढ़ इलाके में रहने वाली २ महीने की बच्ची की इलाज के अभाव में मौत हो गई।
बता दें कि बरसात के दौरान नदी का पानी बढ़ने से गांव के बाहर बना तटबंध पानी में डूब गया है, जिससे अस्पताल तक जाने वाला मार्ग बंद हो गया। इस वजह से बच्ची का समय पर इलाज नहीं हो सका और उसे अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
विक्रमगढ़ के मालवाड़ा म्हसेपाड़ा की रहने वाली लावण्या चव्हाण दो दिन पहले बुखार के कारण अचानक बीमार हुई। उसके परिवार वालों ने उसे इलाज के लिए मालवाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराने का पैâसला किया। लेकिन मूसलाधार बरसात के कारण म्हसेपाड़ा गांव के पास से बह रही गारगाई और पिंजाल नदियों का जलस्तर काफी बढ़ गया। घर वाले बच्ची को लेकर किसी तरह से गांव के बाहर निकले, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और बच्ची की मौत हो गई। हालांकि, बच्ची के मौत का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है।
नागरिकों में आक्रोश
गौरतलब है कि यहां के स्थानीय लोग म्हसेपाड़ा को जोड़ने वाली नदी पर एक पुल बनाने की मांग कई वर्षों से कर रहे हैं। उनकी मांग के बावजूद पुल नहीं बनने के कारण लोग आज भी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन इस मांग को नजरअंदाज कर रहा है, जिससे उन्हें हर रोज मौत से लड़ना पड़ रहा है। लोगों ने बच्ची की मौत पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि एक तरफ सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी तरफ बरसात में गांव का संपर्क टूट जाने के कारण एक मासूम बच्ची की इलाज के अभाव में मौत हो जाती है।