मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृतिमहाकुंभ पर डमरू छंद

महाकुंभ पर डमरू छंद

कितना कठिन होता है, यह सिर्फ वह समझ सकता है जो इसकी रचना करता है। मां सरस्वती ने अगर मुझसे यह करवा दिया है तो आपका समर्थन, प्रोत्साहन और आशीर्वाद तो बनता ही है। लीजिए –
तीर्थराज महाकुंभ पर डमरू छंद
पग-पग बम-बम पग-पग हर-हर,
पग-पग जप तप करत अमर नर।
नर तज परयक भजन करत तट,
जपत अनवरत हर सर जल तर।
तरत सकल जग धरम करम कर,
नगर-नगर पर, डगर-डगर पर।
परखत कमल नयन चमकत पथ,
सकल अमर हरसत तट घटवर
-सुरेश मिश्र
9869141831

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