• अमरनाथ यात्रा की तैयारियां पूरी
सुरेश एस. डुग्गर / जम्मू
अमरनाथ यात्रा मार्ग पर हाईटेक ड्रोन उड़ान भर रहे हैं। ये ड्रोन हिंदुस्थानी सुरक्षाबलों के हैं, जिनसे वे पाकिस्तान से आनेवाले हमलावर ड्रोन पर नजर बनाए हुए हैं। ऐसे में ऊपर आसमान से तो खतरा है ही, नीचे भी उतनी ही सतर्कता बरतनी पड़ रही है। खतरा सिर्फ दुश्मन ड्रोनों का ही नहीं बल्कि उन स्टिकी बमों का भी है, जिनकी तोड़ ढूंढ़ पाने में अभी तक कोई कामयाबी नहीं मिली है।
बता दें कि पहलगाम और बालटाल से लेकर अमरनाथ गुफा तक के दोनों यात्रा मार्गों पर लंगर लगाने की व्यवस्थाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। हालांकि, गुफा के बाहर जमी हुई बर्फ से जूझते हुए लंगरवाले जरूर नजर आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें आबंटित की गई जगहों पर बर्फ को खुद ही काटना पड़ रहा था।
केरिपुब के अधिकारियों ने माना है कि इस बार ड्रोनों और स्टिकी बमों के खतरे से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को विशेष रूप से ट्रेनिंग दी गई है पर स्टिकी बमों को वैâसे खोजेंगे? फिलहाल इसकी कोई तकनीक वे तलाश नहीं कर पाए हैं, सिवाय इसके कि लोगों को इसके प्रति सतर्क करें।
एंटी ड्रोन रणनीति
पुलिस के अधिकारी कहते हैं कि यात्रा मार्ग पर ड्रोन हमलों का कोई ऐसा खतरा नहीं है, पर वे कोई खतरा मोल नहीं ले सकते इसलिए एंटी ड्रोन रणनीति भी कई जगहों पर अपनाई गई है तथा सभी सुरक्षाबल अपने- अपने ड्रोनों से यात्रा मार्ग पर नजर रखने के अतिरिक्त अवांछित तत्वों की तलाश के लिए भी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं।
मौसम दिखा सकता है रौद्र रूप
यात्रा आरंभ होने में मात्र चार दिनों का समय बचा है और इस बार यात्रा के सुरक्षा प्रबंधों में सेना, वायुसेना, नौसेना, केरिपुब, एनएसजी, जम्मू-कश्मीर पुलिस और बीएसएफ के अतिरिक्त सुरक्षाबलों के सभी विंग पूरी तरह से डूब चुके हैं। पांच अगस्त २०१९ को जम्मू-कश्मीर राज्य के दो टुकड़े करने के बाद यह पहली बार है कि अमरनाथ यात्रा के लिए इस तरह के सुरक्षा प्रबंध किए गए हों। हालांकि, इसमें सबसे अधिक प्रबंध प्राकृतिक आपदा से निपटने के इसलिए किए गए हैं, क्योंकि मौसम विभाग द्वारा पांच दिन पहले ही मानसून के प्रदेश में दस्तक दे दिए जाने के बाद यह आशंका प्रकट की जा रही है कि प्रकृति भी अमरनाथ यात्रा में अपना रौद्र रूप दिखा सकती है।