मुख्यपृष्ठनए समाचारडायबिटीज से गैंगरिन का खतरा... ७० फीसदी लोगों की होती है मौत  

डायबिटीज से गैंगरिन का खतरा… ७० फीसदी लोगों की होती है मौत  

सामना संवाददाता / मुंबई

डायबिटीज के मरीजों में डायबिटिक फुट यानी गैंगरिन की समस्या बढ़ती जा रही है। पांच साल से अधिक समय से मधुमेह से पीड़ित हर ३० में से पांच से सात मरीज गैंगरिन से जूझ रहे हैं। यह समस्या टाइप १ या टाइप २ मधुमेह से पीड़ित लोगों में होती है। इसके अलावा अनुमानत: ३५-५० वर्ष की आयु के ७० फीसदी लोग गैंगरिन से मरते हैं। इसी के साथ ही चोट लगने पर मरीजों के पैरों को काटने तक की नौबत आ जाती है।
आईसीएमआर के एक अध्ययन के अनुसार, हिंदुस्थान में १०१ मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, जबकि २०१९ में यह संख्या ७० मिलियन थी। देश की कुल आबादी का १५.३ फीसदी यानी कम से कम १३६ मिलियन लोगों को प्रीडायबिटीज है। इसके साथ ही ३१५ मिलियन से अधिक लोगों को उच्च रक्तचाप है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के बाद मिले आंकड़े चिंताजनक हैं। इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। इसी में इस बीमारी से गैंगरिन का खतरा बढ़ने लगा है। चिकित्सकों के मुताबिक, गैंगरिन से त्वचा के ऊतक टूट जाते हैं। यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो पैर काटने पड़ सकते हैं।
अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के फुट व एंकल सर्जन डॉ. श्याम ठक्कर ने कहा कि उच्च रक्त शर्करा का स्तर न्यूरोपैथी का कारण बन सकता है, जो तंत्रिका क्षति और पैरों में संवेदना की हानि है। मधुमेह से संबंधित पैर के अल्सर, छाले, मधुमेह से पीड़ित २० फीसदी लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। यदि संक्रमण समय पर ठीक नहीं होता है, तो पैर काटने पड़ सकते हैं। इसके लक्षणों में नाखूनों का पीला पड़ना, सूखी और फटी हुई त्वचा, झुनझुनी, सूजन या दर्द, दुर्गंध, पानी जैसा स्राव, ठीक न होने वाले अल्सर से मवाद निकलना जैसे लक्षण होते हैं। उन्होंने कहा कि ७० फीसदी मधुमेह रोगियों की गैंगरिन से मृत्यु हो सकती है।
बच्चे ने माता के वियोग में दी जान
भायंदर। मीरा-भायंदर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। एक ८ साल के बच्चे ने अनाथालय परिसर में बने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी। यह बच्चा पिछले ८ महीनों से केयरिंग हैंड्स सेवा कुटीर अनाथालय में रह रहा था, जिसे उसकी मां ने अपने दूसरी शादी के बाद वहां छोड़ दिया था। घटना मंगलवार सुबह ७:३० बजे की है, जब बच्चे का शव कुएं में मिला। बताया जाता है कि सोमवार की रात बच्चा अन्य बच्चों के साथ सोने गया था, लेकिन अगली सुबह जब बच्चों की गिनती की गई तो वह कहीं दिखाई नहीं  दिया। अनाथालय के कर्मचारियों ने जब उसकी तलाश शुरू की तब उन्हें प्रांगण में बने कुएं में उसका शव तैरता मिला। उत्तन पुलिस स्टेशन ने जानकारी दी कि बच्चा मानसिक तनाव से गुजर रहा था, क्योंकि वह अनाथालय में रहना नहीं चाहता था। बच्चे के पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी। माना जा रहा है कि बच्चे के बार-बार कहने के बाद भी मां उसे अपने साथ नहीं ले गई, इसी मानसिक दबाव के कारण उसने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने एडीआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

अन्य समाचार