अंधेरी रात

यहाँ तो
न सुबह है
न शुरुवात।
यहाँ तो
अंधेरी रात है
घुप्प अंधेरी रात
काली
भयानक
और लंबी।
जो डरा रही है
यादों के साथ
आज भी।
लोग उधर जा रहे हैं
जहन्नुम की ओर।
और इधर
छोड़ रहे हैं
अंधेरा
हमारे लिए।
जिसे ढ़ोते हुए हम
चले जा रहे हैं
तलाश में
सुबह के।
और कह रहे हैं
साथियों
आओ एकता पढ़ें
आगे बढ़ें
जहाँ सबेरा है।
हमारा असली डेरा है।।

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