- २४ राज्यों और आठ महानगरों में लगाई सेंध
- नेटफ्लिक्स से पेटीएम तक डेटा ‘ऑन सेल’
सामना संवाददाता / हैदराबाद
डिजिटलाइजेशन ने लाइफ को जितना तेज, सुविधाजनक और आरामदायक बना दिया है, उतना ही इसके कारण रिस्क भी बढ़ा है। इसी का नतीजा है कि आजकल निजी डेटा चोरी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। निजी डेटा चोरी की घटनाओं को रोकने और इसकी सुरक्षा को लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री से भी सवाल किया गया? लेकिन आज तक इस पर कोई अमल नहीं किया गया। किसी की पैन डिटेल तो किसी के नेटफ्लिक्स अकाउंट की जानकारी। किसी के पेटीएम नंबर का इंफॉर्मेशन तो किसी का पर्सनल डेटा। ६६.९ करोड़ लोगों के साथ शायद ये अब तक भारत में हुई सबसे बड़ी डेटा चोरी है। हैदराबाद की साइबराबाद पुलिस ने ३१ राज्यों और आठ महानगरों के ६६.९ करोड़ लोगों व संगठनों का व्यक्तिगत और गोपनीय डेटा चुराने, रखने और बेचने के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। इसमें से कुछ डेटा रक्षा कर्मियों, सरकारी कर्मचारियों, पैन कार्ड व डीमैट खाताधारकों का था। डेटा के इस खजाने में म्यूचुअल फंड से लेकर सोशल मीडिया अकाउंट्स तक की जानकारी चोरी की गई थी। आरोपी के पास से अमेजन, नेटफ्लिक्स, यूट्यूब, पेटीएम, फोनपे, बिग बास्केट, बुक मॉय शो, जैसी कंपनियों का डेटा बरामद हुआ है। पुलिस ने बताया कि आरोपी विनय भारद्वाज के पास एजु-टेक संगठनों के छात्रों और जीएसटी, विभिन्न राज्यों के सड़क परिवहन संगठनों, दिग्गज ई-कॉमर्स पोर्टल, सोशल मीडिया मंचों और फिनटेक कंपनियों का डाटा है। दरअसल,जब इसके कब्जे से बरामद मोबाइल और लैपटॉप की जांच की गई तो उसमें करोड़ों लोगों के निजी डेटा भंडार था। आरोपी के पास से बरामद हुआ डेटा २४ राज्यों और ८ मेट्रो शहरों के लोगों से जुड़ा हुआ था। दिल्ली से लेकर गुजरात तक इस साइबर चोर के पास क्रेडिट कार्ड से लेकर लोगों की मार्कशीट तक का डेटा मौजूद था।
१७ लाख फेसबुक यूजर्स के डेटा शामिल
इस डाटा लीक में १.२ करोड़ व्हाट्सएप यूजर्स के अलावा १७ लाख फेसबुक यूजर्स के डेटा शामिल हैं। सेना जवानों के डेटा में उनकी मौजूदा रैंक, ई.मेल आईडी, पोस्टिंग की जगह शामिल हैं। इन डेटा का उपयोग सेना की जासूसी के लिए किए जाने की संभावना है। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपियों ने ५०,००० लोगों के डेटा को महज २,००० रुपए में बेच दिया।
हरियाणा से चल रहा था नेटवर्क
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम विनय भारद्वाज है, जो हरियाणा के फरीदाबाद से वेबसाइट के जरिए लोगों के डेटा को ऑनलाइन बेच रहा था। पुलिस को आरोपी के पास से बाइजूस और वेदांतु जैसे ऑनलाइन एजुकेशन और टेक्नॉलजी ऑर्गनाइजेशन का डेटा मिला है। इसके साथ ही २४ राज्यों के जीएसटी और आरटीओ का डेटा भी शख्स के पास से बरामद हुआ है।
सरकारी, निजी फर्मों और लोगों से जुड़ी गोपनीय जानकारी
पुलिस को आरोपी के पास से रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों की गोपनीय जानकारी, सरकारी कर्मचारियों, पैन कार्ड धारकों, वरिष्ठ नागरिकों के साथ ९वीं कक्षा से लेकर १२वीं तक के छात्रों का डेटा मिला है। उसके पास दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं, डी-मैट अकाउंट, बहुत से लोगों के मोबाइल नंबर, नीट के छात्रों का डेटा, देश के कई अमीर लोगों से जुड़ी गोपनीय जानकारियां, बीमा धारकों, क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल समेत बहुत सा डेटा मिला है।
किस राज्य के कितने लोगों का डेटा हुआ चोरी?
डेटा चोरी में राज्यवार आंकड़ों की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश के २१.३९ करोड़ लोगों का डेटा आरोपी के पास से बरामद हुआ है। इसके बाद मध्य प्रदेश के ४.५० करोड़, दिल्ली के २.७० करोड़, आंध्र प्रदेश के २.१० करोड़, राजस्थान के २ करोड़ और जम्मू-कश्मीर के २ करोड़ लोगों का डेटा चोरी हुआ है। इस लिस्ट में केरल के १.५७ करोड़, पंजाब के १.५ करोड़, बिहार के १ करोड़ और हरियाणा के १ करोड़ शामिल है।
सेना सहित १६.८ करोड़ लोगों को बनाया शिकार
तेलंगाना में साइबराबाद पुलिस ने सरकार और महत्वपूर्ण संस्थानों के संवेदनशील डेटा समेत १६.८ करोड़ नागरिकों और सैन्यकर्मियों की निजी जानकारी लीक करने में शामिल गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है। आरोपी नोएडा और अन्य स्थानों पर तीन काल सेंटर के जरिए डेटा चोरी को अंजाम दे रहे थे।
दो करोड़ छात्रों का मिला डिटेल
पुलिस ने कहा कि डेटा चोरी में १.२ करोड़ वॉट्सऐप यूजर्स और १७ लाख फेसबुक यूजर्स को भी निशाना बनाया गया था। पुलिस को दो करोड़ छात्रों, १२ लाख सीबीएसई कक्षा १२ के छात्रों, ४० लाख नौकरी चाहने वालों, १.४७ करोड़ कार मालिकों, ११ लाख सरकारी कर्मचारियों और १५ लाख आईटी पेशेवरों की डिटेल भी मिली है।
तीन करोड़ लोगों के मिले मोबाइल नंबर
साइबराबाद पुलिस कमिशनर (क्राइम) कलमेश्वर शिंगेनावर ने मामले में कहा है कि तीन करोड़ लोगों का एक मोबाइल नंबर डेटाबेस भी मिला, जो संभवतः टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स से लीक हुआ था। लीक हुए संवेदनशील डेटा का उपयोग महत्वपूर्ण संगठनों के लिए किया जा सकता है।
‘भारतीयों की निजता और सुरक्षा पर वार’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने करीब ६७ करोड़ लोगों व संगठनों का डेटा चोरी होने के खुलासे पर रविवार को ट्वीट किया, ‘यह भारतीयों की निजता और सुरक्षा पर वार है जो हमें कतई स्वीकार नहीं है।’ जयराम ने लिखा, ‘सरकार तुरंत इस मामले पर स्पष्टीकरण दे।’ गौरतलब है, यह देश की सबसे बड़ी डेटा चोरी बताई जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर इसके गंभीर परिणाम होंगे। सैन्य और सरकारी कर्मचारियों का डेटा जासूसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता हैं। आरोपी ऊर्जा एवं बिजली क्षेत्र, पैन कार्ड डेटा, सरकारी कर्मचारियों, डीमैट खाताधारकों, क्रेडिट एवं डेबिड कार्ड धारकों समेत अन्य कई श्रेणियों का विवरण बेचते रहे और सरकार मौन बनी रही।
तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस ने दबोचा
गैंग को तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस ने दबोचा है। ये लोग १४० अलग-अलग कैटेगरी में डेटा बेचने का काम कर रहे थे। इसमें सेना के जवानों के डेटा के अलावा देश के तमाम लोगों के फोन नंबर नीट के छात्रों की निजी जानकारी आदि शामिल हैं। पकडे़ गए सभी सात डेटा ब्रोकर्स नोएडा में एक कॉल सेंटर के माध्यम से डेटा एकत्र करने का काम करते थे।