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बहू भी बेटी होती है! … बहू को सुरक्षित पाकर बिलखने लगी सास!!

• ससुर और पति के भी नहीं रुक रहे थे आंसू
• नवजात बेटे का नहीं लग सका सुराग

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई से सटे ठाणे के मेंटल अस्पताल में एक मार्मिक मामला सामने आया है। इतना ही नहीं इस घटना ने इस घोर कलयुग में भी सास की नजर में बहू का स्थान बेटी से कम नहीं है, कहावत को चरितार्थ कर दिया है। दरअसल, मानसिक रोगी महिला एक साल पहले सुध-बुध खोकर अपने दो महीने के बच्चे को साथ लेकर घर से निकल गई थी। करीब आठ महीने बाद उसे मेंटल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पूरी तरह से डरी-सहमी महिला का इलाज और काउंसलिंग किया गया। बातचीत के दौरान महिला ने एक मोबाइल नंबर बताया, जो ट्रू कॉलर पर चेक करने पर उसके पति का निकला। इसके बाद दूसरे दिन ही युवती का पति, सास-ससुर मेंटल अस्पताल उसे लेने पहुंच गए। इस बीच बहू को सुरक्षित देख सास जोर-जोर से बिलखने लगी। इतना ही नहीं पति और ससुर के आंसू भी नहीं थम रहे थे। हालांकि, इस परिवार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि बच्चे को महिला कहां छोड़ आई, उसे याद ही नहीं है। फिलहाल, पुलिस मामला दर्ज कर बच्चे की तलाश कर रही है।
मिली जानकारी के अनुसार, २९ अक्टूबर २०२२ को भिवंडी स्थित शांतिनगर पुलिस ने कोर्ट के आदेशानुसार मानसिक रोगी करीब २५ वर्षीय महिला को मेंटल अस्पताल में भर्ती कराया था। सीजोप्रâेनिया बीमारी से पीड़ित महिला का याददाश्त चला गया था। ऐसे में वह शब्दों का सही तरीके से उच्चारण भी नहीं कर पा रही थी। उसने बातों-बातों में बताया कि उसके माता-पिता का देहांत हो चुका है, जबकि उसकी देखभाल सौैतेली मां ने किया है। साथ ही महिला ने नूरी मस्जिद और पिपरवां गांव और अपने चचेरे भाई का नाम जो यूपी के प्रयागराज में है का जिक्र किया। मेंटल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नेताजी मुलिक के निर्देश पर सोसल वर्कर प्रवीणा देशपांडे ने मरीज का पूरा विवरण निकलना शुरू कर दिया। साथ ही मरीज को थेरेपी भी दी जाने लगी।

इस तरह हुआ चमत्कार
डॉ. नेताजी मुलिक ने कहा कि महिला अस्पताल की सोसल वर्कर देशपांडे के पास आई और उसने एक मोबाइल नंबर बताया। जब उस नंबर पर फोन किया गया तो वह लगातार व्यस्त आ रहा था। ट्रू कॉलर ऐप में जब उसे सर्च किया गया तो उसके पति का निकला। इसी बीच उसकी पति से बात हो गई। इसके बाद तो परिजनों का फोन पर फोन आना शुरू हो गया।

रिश्ते में ही हुई थी शादी
मानसिक रोगी युवती की शादी रिश्तेदारी में ही हुई थी। हालांकि, जिस समय शादी हुई थी महिला की सास को नहीं बताया गया था कि वह दिमागी रोग से पीड़ित है। वह रोग को कंट्रोल में रखने के लिए दवा खाती थी। दूसरी तरफ युवती के पति में भी समस्या थी। ऐसे में बिना किसी व्यवधान के दोनों की शादी हो गई। दिक्कत तब शुरू हुई, जब युवती ने दवा खाना बंद कर दिया। इसका असर यह हुआ कि वह अपनी सुध-बुध खो बैठी और गोरेगांव से बच्चे को साथ लेकर बिना बताए घर छोड़कर चली गई थी।

आठ महीने कहां थी, महिला को नहीं है याद
डॉ. मुलिक ने कहा कि महिला का पति, देवर, सास और ससुर चारों उसे लेने के लिए मेंटल अस्पताल पहुंच गए। बातचीत में पता चला कि ये पूरा परिवार गोरेगांव में रहता है। आठ मार्च २०२२ को युवती अपने दो महीने के बच्चे को साथ लेकर घर से निकल गई थी। ससुरलवालों ने स्थानीय पुलिस थाने में इसकी गुमशुदगी का मामला भी दर्ज कराया है। इसके बाद करीब आठ महीने तक युवती कहां थी, यह उसे भी याद नहीं है। इतना ही नहीं उसे यह तक याद नहीं है कि उसने अपने बच्चे को कहां छोड़ दिया है। सीजोप्रâेनिया से पीड़ित इस महिला को अपना पति, परिवार तो मिल गया या लेकिन वह बच्चे से बिछड़ गई।

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