वीरान घर को स्वर्ग बनाती हैं बेटियां
सहरा में जाके फूल खिलाती हैं बेटियां
बेटों से ही नहीं सदा हो नाम भी ऊंचा
घर की खुशी गुरूर बढ़ाती हैं बेटियां
मां-बाप की इज्जत के लिए मर मिटेंगी वे
सम्मान उनका खूब बढ़ाती हैं बेटियां
बेचैन होके जब कभी पुकारते हो तुम
दिल को बड़ा करार दिलाती हैं बेटियां
अब चांद सितारों पर होकर चली सवार
दुनिया को नया रंग दिखाती हैं बेटियां
घर टूटने न पाए करती हैं कोशिशें
बस एकता का पाठ पढ़ाती हैं बेटियां
ये कौन कह रहा ‘कनक’ बेटी न चाहिए
ऐसों के मुंह पे धूल उड़ाती हैं बेटियां।
-डॉ. कनक लता तिवारी