मुख्यपृष्ठनए समाचारमरी हुई ज्वालामुखी लाती हैं भूकंप! ... जापानी स्टडी का खुलासा

मरी हुई ज्वालामुखी लाती हैं भूकंप! … जापानी स्टडी का खुलासा

भूकंप एक ऐसी त्रासदी है, जिसका अभी तक कोई उपाय नहीं निकाला जा सका है। इस प्राकृतिक आपदा के आने से दुनिया में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। देखा जाए तो अक्सर दुनिया में कहीं-न-कहीं भूकंप के झटके लगते ही रहते हैं। हां, कुछ देश ऐसे हैं जहां ज्यादा भूकंप आते हैं। ऐसा ही एक देश है जापान। अब जापान की एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि मृत ज्वालामुखियों के लावे के कारण वहां भूकंप आते हैं।
जापान के नोटो इलाके में काफी ज्यादा भूकंप आ चुके हैं। जब वैज्ञानिकों ने इसकी वजह पता की तो यह डरावना खुलासा हुआ। पता चला कि जमीन के अंदर एक मृत ज्वालामुखी है, जिससे निकले मैग्मा यानी गर्म लावा का बहाव भूकंपों को पैदा कर रहा है। नोटो प्रायद्वीप जापान सागर के पास है। यह इलाका देश के उत्तरी हिस्से में मौजूद है। यहां पर १.५६ करोड़ सालों से ज्वालामुखीय गतिविधियां हो रही हैं। यानी उनमें विस्फोट हो रहा है। यह स्टडी हाल ही में जेजीआर सॉलिड अर्थ में प्रकाशित हुई है, जो बताती है कि तरल लावा का बहाव आज भी भूकंप ला रहा है। वैज्ञानिक कीसुके योशीदा के अनुसार, लावा के ऊपरी सतह में होनेवाले बहाव की वजह से भूकंप आ रहे हैं। नोटो के नीचे फॉल्ट्स का जटिल नेटवर्क है, जिसमें लावा बहता है।
१० हजार से ज्यादा भूकंप
नोटो इलाके और उसके आसपास दिसंबर २०२० से भूकंप आने शुरू हुए थे, जिनमें २ तीव्रता के १,००० से ज्यादा भूकंप थे। ५.४ तीव्रता के भूकंप जून २०२२ के बाद आने लगे। ६.५ तीव्रता का भूकंप इस साल मई महीने में आया। कीसुके योशीदा और उनकी टीम ने जब भूकंपीय तरंगों की स्टडी की तो पता चला कि १ या उससे अधिक तीव्रता के १० हजार से ज्यादा भूकंप आए हैं। भूकंपों की शुरुआत जमीन से २० किलोमीटर नीचे क्रस्ट में हो रही है, जिनका मूवमेंट ऊपरी हिस्से की तरफ है। असल में ये तरल लावा है जो नीचे से ऊपर की ओर बढ़ रहा है। उसका पैटर्न गोल है। फॉल्ट नेटवर्क के नीचे लावा गोलाकार छल्ले के आकार में घूम रहा है। यह बताता है कि वहां पर मृत ज्वालामुखी का काल्डेरा है। अब यह ज्वालामुखी तो खत्म हो चुका है लेकिन उसका गर्म लावा लगातार जमीन के नीचे तबाही मचाने को तैयार है। साइंटिस्ट योशीदा कहते हैं कि २०११ में आया ९.१ तीव्रता का टोहोकू भूकंप भी तरल लावे के मूवमेंट की वजह से हुआ था। हो सकता है कि फिर किसी बड़ी तबाही की आहट हों ये छोटे-छोटे भूकंप।

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