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बुलडोजर बाबा के राज्य पर कर्ज का बोझ!

• २०२३-२४ में यूपी का कर्ज बोझ
• रु.७.८४ लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक ने किया दावा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में गुंडागर्दी, माफियागीरी को खत्म करने का दावा करते हैं। हकीकत यह है कि सूबे में गुंडागर्दी खत्म होने की बजाय बढ़ती जा रही है। कोर्ट में पेशी के दौरान ले जाते समय दिनदहाड़े लोगों की गोली मारकर हत्या कर जाती है। मुख्यमंत्री का ध्यान नागरिकों के घरों पर बुलडोजर चलवाने पर है, उधर राज्य की आर्थिक स्थिति रसातल में जा रही है। बुलडोजर बाबा के राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ने वाला है। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दावा किया है कि अगले वित्त वर्ष २०२३-२४ में उत्तर प्रदेश का कर्ज का बोझ ७.८४ लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है, जो लगभग ४० प्रतिशत अधिक है। उल्लेखनीय है कि आम चुनाव नजदीक हैं और योगी आदित्यनाथ सरकार लोकलुभावन योजनाओं को आगे बढ़ा रही है, वित्तीय विशेषज्ञों को लगता है कि कर्ज और बढ़ सकता है। यूपी वार्षिक बजट के अनुसार, २०२३-२४ में नाममात्र यूपी सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) २४.३९ ट्रिलियन रुपए होने का अनुमान लगाया गया है।
वार्षिक बजट से १४प्रतिशत अधिक
दिलचस्प बात यह है कि ७.८४ ट्रिलियन रुपए का अनुमानित सार्वजनिक ऋण उत्तर प्रदेश के ६.९० ट्रिलियन रुपए के वार्षिक बजट से ९४,००० करोड़ रुपए या लगभग १४ प्रतिशत अधिक है। पिछले साल, आरबीआई के एक आर्टिकल ने निर्मित वित्तीय स्थिति पर चिंता व्यक्त की और पांच सबसे ऋणी प्रांतों में सुधारात्मक कदमों का सुझाव दिया।
केंद्र से `७१,२०० करोड़
प्राप्त होने का अनुमान
राज्य के वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूपी ने २०२०-२१ तक सार्वजनिक ऋण अनुपात को सफलतापूर्वक ३० प्रतिशत से नीचे कर लिया था, लेकिन महामारी के कारण २०२१-२२ और २०२२-२३ (संशोधित अनुमान) वित्तीय वर्ष के दौरान यह बढ़कर ३३.४ प्रतिशत और ३४.२ प्रतिशत हो गया। इस बीच, यूपी को २०२२-२३ के दौरान ५१,८६० करोड़ रुपए (जीएसडीपी का २.५ प्रतिशत) की तुलना में २०२३-२४ के दौरान केंद्र से लगभग ७१,२०० करोड़ रुपए, जीएसडीपी का २.९ प्रतिशत ऋण प्राप्त होने का अनुमान है।
चुनावी घोषणाओं बोझ बढ़ेगा
राज्य सरकार स्पष्ट रूप से अपने कर्ज के बोझ से अवगत है और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना सहित आवश्यक भुगतान से बच रही है। एक पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि खर्च का बोझ बढ़ना तय है क्योंकि लोकसभा चुनाव अब नजदीक हैं। सत्ता-विरोधी कारक का मुकाबला करने के लिए राज्य सरकार निश्चित रूप से समाज के विभिन्न वर्गों के लिए रियायतों की घोषणा करेगी और इससे राज्य के खजाने पर बोझ बढ़ेगा।

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