सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बेलगांव को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश करने का आग्रह शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता और युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने सोमवार को किया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस प्रस्ताव को लाती है तो सर्वसम्मति से पारित किया जाएगा।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान आदित्य ठाकरे ने कहा कि आज महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि यह सरकार जनता की है या चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि बेलगाव के स्थानीय लोग हिंदू और मराठी हैं, फिर भी उन पर अत्याचार क्यों हो रहे हैं? उन्होंने कहा कि हमने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि इस विधानसभा सत्र में बेलगांव को केंद्र शासित क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव लाएं, वह सर्वसम्मति से पारित होगा। आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि महाराष्ट्र सरकार को तुरंत इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसमें मध्यस्थता कर बेलगांव को केंद्र शासित घोषित करना चाहिए।
उन्होंने कर्नाटक के मंत्रियों पर महाराष्ट्र विरोधी मानसिकता का आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या हमारे मुख्यमंत्री कर्नाटक के मंत्रियों के बयानों से सहमत हैं?
वहां लोगों के साथ अन्याय
यहां मनाया जा रहा है जश्न
शिवसेना नेता व युवासेनाप्रमुख आदित्य ठाकरे ने सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बेलगांव में मराठी लोगों पर अन्याय हो रहा है, लेकिन यहां सरकार खुशी के समारोह कर रही है। वहां का माहौल बिगड़ता जा रहा है और हमारे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। महायुति सरकार से हम पूछते हैं कि क्या यह ठीक है? बेलगांव में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के महासम्मेलन को कर्नाटक सरकार ने अनुमति नहीं दी और वहां कर्फ्यू भी लागू किया। आदित्य ठाकरे ने कहा कि बेलगांव महाराष्ट्र की अस्मिता का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा। मैं कर्नाटक सरकार से अपील करता हूं कि वे मराठी लोगों पर हो रहे इस अन्याय को तुरंत रोकें। महाराष्ट्र और मराठी लोगों के हित से बड़ा कुछ भी नहीं है। केंद्र सरकार से भी हमारी मांग है कि इस विवादित क्षेत्र को तुरंत केंद्र शासित बनाएं। उन्होंने इस बारे में पत्र लिखकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजा है। आदित्य ठाकरे ने यह भी कहा कि पिछले साल जब हमने आवाज उठाई थी तो उस समय के असंवैधानिक मुख्यमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्र के लिए अधिक फंड देने और सुविधाएं प्रदान करने का वादा किया था, लेकिन क्या कुछ हुआ? क्या केंद्र सरकार इस क्षेत्र को केंद्र शासित बनाएगी?