सामना संवाददाता / मुंबई
केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यकाल में देश की कानून सुव्यवस्था चरमरा गई है। गृह मंत्री जम्मू-कश्मीर, मणिपुर की बात नहीं, बल्कि सिर्फ राजनीति की बात करते हैं। यहां चुनाव जीते, वहां लड़ेंगे, वहां भी जीतेंगे, इस पार्टी को तोड़ेंगे, उस पार्टी को तोड़ेंगे, क्या यही गृह मंत्री का काम है। उन्हें जम्मू-कश्मीर, मणिपुर जाना चाहिए और स्थिति को नियंत्रण में लाना चाहिए। वे महाराष्ट्र को कभी नहीं जीत पाएंगे। लोग अब समझ गए हैं कि वे पार्टियों को तोड़ो-फोड़ो, दूसरे दल का चुनाव चिह्न चुराओ और राज करो वाला रुख अपना रहे हैं। इसलिए अब उन्हें महाराष्ट्र में पराजय का सामना करना पड़ेगा। इस तरह का जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने किया है।
मीडिया से बातचीत में सांसद संजय राऊत ने कहा कि दिग्रज की सीट को लेकर हमारे और कांग्रेस के बीच ही चर्चा हुई है। हमने वह सीट माणिकराव ठाकरे के लिए छोड़ दी है। हमारा उम्मीदवार वहां चुनाव नहीं लड़ेगा। कांग्रेस ने दिग्रज के बदले हमें दरियापुर सीट दी है। इसलिए हमारे बीच कोई विवाद नहीं है। भूम परांडा सीट को लेकर हमारे और शरद पवार की पार्टी राकांपा के बीच कोई विवाद नहीं है। इसे लेकर कुछ भ्रम है। इस सीट को बदलने पर चर्चा हुई थी। उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि इस संबंध में कोई समाधान निकाला जाएगा। मुंबई में हमारा बंटवारा पूरा हो चुका है। शरद पवार की पार्टी को मुंबई में सबसे कम सीटें मिली हैं। हालांकि, उन्होंने समझदारी भरा रुख अपनाया है और पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र मराठवाड़ा पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है।
हिम्मत है तो शिवसेना का
चुनाव चिह्न फ्रीज कराओ
संजय राऊत ने कहा कि भाजपा नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका भी जीत सकती है, जिनके हाथ में अकूत पैसा और ईवीएम की चाबियां हैं। वे कहीं भी जीत सकते हैं। उन्हें हमें बताना चाहिए कि उन्होंने अपने सीने और बच्चों के सिर पर हाथ रखकर हरियाणा कैसे जीता। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि वे महाराष्ट्र में कैसे लड़ रहे हैं। उन्होंने शिवसेना और राकांपा को तोड़कर सत्ता हासिल की। संजय राऊत ने यह भी चुनौती दी कि अगर उनमें लड़ने की हिम्मत है, तो सबसे पहले वे चोर-उचक्कों को मिले शिवसेना के चुनाव चिह्न को फ्रीज करवाकर मैदान में उतरें।
शिंदे नहीं होंगे अगले मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर संजय राऊत ने कहा कि महायुति में तीन से अधिक चेहरे हैं, उसमें वर्तमान मुख्यमंत्री का नहीं, बल्कि अन्य के चेहरे शामिल हैं। भाजपा, घाती और अजीत पवार गुट पहले अपना चेहरा तय करे। मुझे विश्वास है कि अगले मुख्यमंत्री शिंदे नहीं होंगे। यह पैâसला अमित शाह ने ही लिया है। उनका डर इस बात से जाहिर होता है कि मुख्यमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को भी शक्ति का प्रदर्शन करना पड़ता है। हमारे केदार दिघे सक्षम हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नतीजों के बाद साफ हो जाएगा कि उन्हें जनता का समर्थन हासिल है।
मुंबई परंपरागत रूप से शिवसेना का गढ़ है इसलिए मुंबई में शिवसेना का जीतना जरूरी है। विदर्भ में कांग्रेस का जीतना जरूरी है। उस उद्देश्य के लिए हमने कई घंटों तक बैठकर चर्चा की और सीटों का बंटवारा किया। उन्होंने कहा कि हालांकि, यह भी हकीकत है कि कुछ सीटों पर अंत तक सहमति नहीं बन पाती है।