मुख्यपृष्ठनए समाचाररक्षा मंत्रालय करता है न्याय में दखलंदाजी! ...आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन...

रक्षा मंत्रालय करता है न्याय में दखलंदाजी! …आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
रक्षा मंत्रालय न्यायिक मामलों में दखलंदाजी करता है। इस बात की शिकायत ‘आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल’ (सशस्त्र बल न्यायाधिकरण) चंडीगढ़ बेंच की बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। इस पत्र में वकीलों ने शिकायत की है कि रक्षा सचिव और रक्षा मंत्रालय के अन्य अधिकारी अवमानना ​​​​कर रहे हैं और उनके सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की कार्यवाही में अत्यधिक हस्तक्षेप कर रहे हैं।
यह पत्र ३ अगस्त को मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ को लिखा गया है। इसमें रक्षा सचिव द्वारा न्यायाधिकरण की पीठ को दिए गए चौंकाने वाले और अपमानजनक बयानों का उल्लेख है। जुलाई में रक्षा मंत्रालय ने न्यायाधिकरण से संपर्क किया और एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। फंड या पेंशन से जुड़े मामलों में दिए गए पैâसलों की जांच कर यह रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। रिपोर्ट और उस पर न्यायाधिकरण की टिप्पणियों को २८ जुलाई को शाम ५ बजे तक प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया था। बार एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा कि रक्षा मंत्रालय इस तरह से न्यायाधिकरण को आदेश नहीं दे सकता। बार एसोसिएशन द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हम रक्षा सचिव द्वारा न्यायाधिकरण को दिए गए ऐसे आदेशों की कड़ी निंदा करते और आपत्ति जताते हैं। यह अधिकारी सोचता है कि न्यायाधिकरण उसके मंत्रालय का एक हिस्सा है, जबकि वास्तव में यह एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय है। न्यायाधिकरण संसद द्वारा पारित कानूनों के ढांचे के भीतर काम करता है और सेवारत तथा सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके परिवारों को न्याय प्रदान करने के लिए काम करता है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस पंघाल और सचिव अजय श्योराण ने यह पत्र लिखा है। रक्षा मंत्रालय के हस्तक्षेप से वकीलों में काफी नाराजगी है और इसकी जानकारी दोनों ने पत्र लिखकर मुख्य न्यायाधीश को दी है। साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि आप इस पत्र का संज्ञान लें और स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करें। इन वकीलों का कहना है कि अगर मुख्य न्यायाधीश इस मामले में हस्तक्षेप करें तो रक्षा मंत्रालय की चल रही दादागीरी को रोका जा सकता है।

अन्य समाचार

विराट आउट

आपके तारे