मुख्यपृष्ठधर्म विशेषआकर्षण का केंद्र दिल्ली की शिवरात्रि!

आकर्षण का केंद्र दिल्ली की शिवरात्रि!

योगेश कुमार सोनी
वैसे तो दिल्ली वाले सारे त्योहारों को बेहद जिंदादिली से मनाते हैं लेकिन महाशिवरात्रि की बात ही कुछ अलग है। मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगती है। हर छोटे-बड़े मंदिर को बहुत सुंदर तरीके से सजाया जाता है। भक्त सुबह से ही मंदिरों में पूजा करने जाते हैं और बेर, दूध व बेल पत्र का प्रसाद चढ़ाते हैं। इस मौके पर भक्त पूरे विधि-विधान से देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं और कुटू का खाना बनता है। इस दिन लोग जन्माष्टमी की तरह बड़े मंदिरों में परिवार संग भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव की आराधना करने से कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर मिलता है। महाशिवरात्रि का मौका है तो मंदिरों में कुंवारी कन्याएं भी भोले बाबा की अराधना करती हैं। सिविललाइंस स्थित प्राचीन श्री सिद्धेश्वर महादेव शिव मंदिर में नौ सौ किलो फूलों से सजावट की गई है और रंग-बिरंगी लाइटों से मंदिर को जगमग किया जाएगा। महाभारत काल से स्थापित भगवान शिव का प्राचीन मंदिर नीली छतरी मंदिर नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें प्राचीन मूर्तियों को सजाया जाता है। शिवरात्रि वाले दिन इस मंदिर शिव के कई रूप दिखाए जाते हैं। श्री गौरीशंकर मंदिर, भगवान शिव और मां आदिशक्ति को समर्पित आठ सौ साल पुराना लिंगम है, जो भूरे रंग के फल्लस पत्थर से बना है, जिसकी प्राचीन होने की प्रामाणिकता मिलती है और शिवरात्रि वाले दिन इस मंदिर में दिल्ली के अलावा बाहरी लोग भी आते हैं क्योंकि इसकी सजावट बहुत आकर्षित करती है। पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार स्थित गुफा वाली मंदिर की डिजाइनिंग इतनी सुंदर है कि लोग यहां गाजियाबाद, नोएडा व आस-पास के कई इलाकों से आते हैं। मंदिर के गर्भगृह में मुख्य देवता भगवान शिव और भगवान गणेश हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण परिसर में स्थित गुफा है और इसमें मां वैष्णो देवी और भगवान हनुमान की मूर्तियां हैं। भगवान भरतनाथ की मूर्ति गुफा के बाहर है। शिवरात्रि वाले दिन इसको फूलों व लाइटों से सजाया जाता है और यहां आज के दिन ज्यादा प्रसाद इकट्ठा हो जाता है, जो दर्शन करने आए लोगों को वितरण किया जाता है। मंदिरों में अब अधिकतर लोग दूध की थैली शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। बीते कुछ समय पहले कुछ लोगों ने सलाह दी थी कि यदि मंदिरों में जो लाखों लीटर दूध चढ़ता है, यदि उसे गरीबों में वह प्रसाद के रूप में बांट दिया जाए तो बेहतर होगा, जिस पर अधिकतर लोगों ने अमल करते हुए ऐसा ही किया। हालांकि, कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया था लेकिन ऐसे मामलों में व्यक्ति की स्वेच्छा ही चलती है। बहरहाल, दिल्ली में शिवरात्रि मनाने के लिए लोग दिल्ली में रह रहे अपने रिश्तेदारों के यहां आकर भी इस पर्व का आनंद लेते हैं, जिसका उन्हे पूरे वर्ष इंतजार रहता है। कुछ बाहरी लोगों का कहना है कि जिस तरह दिल्ली में शिवरात्रि को मनाया जाता है मानो लगता है कि जैसे दिवाली मनाई जा रही हो। दिल्ली वाले किसी भी त्योहार में चार चांद लगा देते हैं।

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