मुंबई। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST घटाने की मांग जोर पकड़ रही है। वर्तमान में हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% GST लागू है, जो आम नागरिकों के लिए बीमा लेना महंगा बनता जा रहा है। वित्त विशेषज्ञ भरतकुमार सोलंकी ने सरकार से आग्रह किया है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST को घटाकर 5% किया जाए, जिससे देश की बड़ी आबादी बीमा के दायरे में आ सके। सोलंकी के अनुसार, भारत में हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री का वार्षिक कारोबार ₹75,000 करोड़ तक पहुंच चुका है और इसका विकास दर 15-20% है। वर्तमान में 18% GST के कारण सरकार को लगभग ₹13,500 करोड़ का राजस्व मिलता है। अगर यह दर घटाकर 5% की जाती है, तो शुरुआत में सरकार को ₹3,750 करोड़ ही मिलेंगे, लेकिन बीमा लेने वालों की संख्या में वृद्धि होने से भविष्य में प्रीमियम के आकार और टैक्स कलेक्शन में इज़ाफा हो सकता है।
इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस की बढ़ती पहुंच से मेडिकल इंडस्ट्री, जिसका मौजूदा कारोबार ₹8 लाख करोड़ से अधिक है, को भी बड़ा लाभ होगा। जैसे-जैसे ज्यादा लोग बीमाकृत होंगे, अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ेगी, जिससे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था और अर्थव्यवस्था को भी दीर्घकालिक लाभ मिलेगा। सोलंकी का मानना है कि सरकार को अल्पकालिक घाटे के बावजूद यह कदम उठाना चाहिए, क्योंकि इससे भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार का बोझ कम होगा और जीडीपी में वृद्धि संभव होगी।
हेल्थ इंश्योरेंस और मेडिकल इंडस्ट्री का कारोबार एक-दूसरे के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। जैसे-जैसे हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ती है, वैसे-वैसे मेडिकल इंडस्ट्री की सेवाओं की मांग भी बढ़ती है। वर्तमान में भारतीय हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री लगभग ₹75,000 करोड़ का कारोबार करती है, जबकि मेडिकल इंडस्ट्री का कारोबार ₹8 लाख करोड़ से अधिक है। हेल्थ इंश्योरेंस बीमा के माध्यम से लोग महंगे इलाज का खर्च उठा पाते हैं, जिससे अस्पतालों, फार्मास्युटिकल्स और मेडिकल डिवाइसेस की सेवाओं का इस्तेमाल बढ़ता है। अगर बीमा अधिक किफायती हो जाए, तो ज्यादा लोग इसे खरीदेंगे, जिससे मेडिकल सेवाओं की मांग भी बढ़ेगी, और यह दोनों इंडस्ट्री समानांतर रूप से तेजी से आगे बढ़ेंगी।
हेल्थ इंश्योरेंस और मेडिकल इंडस्ट्री के कारोबार में जो खाई दिखती है, उसे प्रीमियम दरों में कटौती से कम किया जा सकता है। वर्तमान में हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री ₹75,000 करोड़ के करीब है, जबकि मेडिकल इंडस्ट्री ₹8 लाख करोड़ से भी बड़ी हो चुकी है। इस खाई का प्रमुख कारण महंगे बीमा प्रीमियम हैं, जिनकी वजह से बड़ी संख्या में लोग बीमा लेने से वंचित रह जाते हैं। अगर हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST दर घटाकर 5% की जाती है, तो ज्यादा लोग बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे न सिर्फ बीमा इंडस्ट्री का कारोबार बढ़ेगा, बल्कि अस्पतालों में महंगे इलाज के लिए लोगों को अपनी जेब से भारी रकम नहीं चुकानी पड़ेगी। भारत के शत प्रतिशत नागरिकों का बीमाकृत होना एक बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि जीवन के लिए स्वास्थ्य का सुरक्षित होना जरूरी है, और महंगे इलाज से बचने का एकमात्र सुलभ विकल्प हेल्थ इंश्योरेंस है।