मुख्यपृष्ठनए समाचारदेसी पैकिंग चायनीज माल! ‘चीनी’ होली मनाने को मजबूर हुई जनता

देसी पैकिंग चायनीज माल! ‘चीनी’ होली मनाने को मजबूर हुई जनता

  • इस साल फीका पड़ गया बहिष्कार

रामदिनेश यादव / मुंबई
इस साल होली के त्योहार को लेकर मुंबई सहित देशभर के व्यापारियों में एक नई उमंग और उत्साह पैâला है। होली से बाजार में रौनक दिख रही है। कोरोना के बाद अब व्यापार के भविष्य को लेकर एक बार फिर नई आशा जगी है। पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष होली के त्योहारी सीजन में देशभर के व्यापार में लगभग २५ फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, हिंदुस्थान में होली के बढ़ते बाजार में चीनी कंपनियां भी बढ़-चढ़कर रुचि ले रही हैं। चीन की कंपनियां होली के त्योहार में इस्तेमाल होनेवाले उत्पाद को दूसरे माध्यम से हिंदुस्थान में पहुंचा रही हैं। रंग, पिचकारी, खिलौने, गुब्बारे आदि सामान होली से पहले बाजार में पहुंच चुके हैं। मतलब देशी पैकिंग में विदेशी चीनी माल बिक रहा है, जिससे जनता भी ‘चीनी’ होली मनाने के लिए मजबूर है।

बाजार में पहुंचा है `१० हजार करोड़ का सामान
पिछले साल चीनी सामान का न केवल व्यापारियों ने बल्कि आम लोगों ने भी पूरा बहिष्कार किया था। इस वर्ष बहिष्कार फीका लग रहा है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते होली से जुड़े चीनी सामान का आयात हो रहा है। माना जा रहा है कि लगभग १० हजार करोड़ रुपए का चीनी समान बाजार में उतारा गया है। मुंबईभर में छोटे-बड़े मिलाकर ४ हजार से ज्यादा होली मिलन समारोह आयोजित होंगे। इसके अलावा घर घर होली का जश्न होगा। ऐसे में चीनी कंपनियां इस मौके को भुनाने में जुटी हैं।
चीन से आए ये सामान
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो यहां चीन से कृत्रिम रंग और गुलाल, प्लास्टिक की पिचकारी, ग़ुब्बारे, चंदन, पूजा सामग्री, गिफ्ट, बनावटी फूल, चीन के कपड़े, फर्निशिंग फैब्रिक तक आ रहा है। चीन के सामानों में बच्चों के लिए प्रेशर गन, एसडी पंप, ट्रैक तथा कार्टून कैरेक्टर में रोबोट, डोरीमोन, शक्तिमान, बाल गणेशा आदि की पिचकारियां उपलब्ध हैं और इन सामानों की जमकर बिक्री हो रही है, वहीं मिलावट वाली मिठाइयां आदि बाजार में आ चुकी है। माना जा रहा है कि नकली मेवा भी चीन से लाया जा रहा है।
गुलाल और पिचकारी की जबरदस्त बिक्री
चीन में बने कृत्रिम रंग, गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे व अन्य कृत्रिम सामान की बाजारों में अभी से मांग बढ़ने लागी है। सामानों की खरीदारी के लिए भीड़ लगी है। दुकानदार सुरेश गुप्ता ने बताया कि चीनी माल सस्ते मिलते हैं इसीलिए लोग वन टाइम यूज के लिए उसे ज्यादा खरीदते हैं। ग्राहकों का झुकाव सस्ते सामान की ओर ही होता है।
चीनी पिचकारी सस्ती है
होली में पिचकारी का बाजार भी गर्म है। कई प्रकार की पिचकारियां बाजार में उपलब्ध हैं। देशी पिचकारी थोड़ी महंगी है, प्रेशरवाली पिचकारी १०० रुपए से ३५० रुपए तक में उपलब्ध है। लेकिन चीनी पिचकारी १०० से भी कम कीमत में मिल रही है। फैंसी चीनी पाइप की भी बाजार में धूम मची है। गुलाल के स्प्रे की वेरायटी में चीनी स्प्रे की मांग बेहद ज्यादा हो गई है।
सस्ते में न पड़ें भाई
व्यवसायी सुनील गुप्ता ने बताया कि दो साल पहले तक बाजार में मेड इन चायना ही छाया हुआ था। स्वदेशी कंपनियों में बनी पिचकारियों की मांग कम थी, लेकिन इस बार उसका ग्राफ गिरा है फिर भी होली के बाजार में उसकी हिस्सेदारी बनी हुई है। पिछले कुछ वर्षों में लोगों में भी स्वदेशी सामान व पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागृति आई है। हमने लोगों से अपील की है कि सस्ते के चक्कर में न पड़ें। उसे मानते हुए लोग भी अब सिंथेटिक रंगों की बजाय हर्बल गुलाल खरीद रहे हैं। बीते वर्ष के मुकाबले रंग, गुलाल व पिचकारी के दाम १५ फीसद महंगे अवश्य हो गए हैं। इसीलिए लोगों का झुकाव चीनी माल की ओर हो सकता है, लेकिन भारतीय माल की गुणवत्ता बेहतर है।
पिचकारी की कीमत
पंप वाली पिचकारी – १० रुपए से ४०० रुपए
टैंक वाली पिचकारी – २०० से ५०० रुपए
कार्टून वाली पिचकारी – २०० से ५०० रुपए
हर्बल गुलाल- ५० ग्राम का पैकेट १० रुपए,
 १०० ग्राम का २० रुपए
 २०० ग्राम का पैकेट ४० रुपए में
 चीनी गुलाल १० रुपए से १५० रुपये किलो
सावधान
केमिकलयुक्त चीनी रंग करेंगे बीमार
जानोवा शाल्बी अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. चेतन जैन ने कहा कि होली सिर्फ खुशियां ही नहीं, बल्कि सेहत से जुड़ी कई परेशानियां भी लाती है। होली में चीनी रंग अक्सर क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से जुड़े होते हैं। ये खतरनाक रसायनों जैसे पारा, सिलिका, सीसा, कांच, कीटनाशकों या डिटर्जेंट से भरे होते हैं, जिससे त्वचा, आंखों, फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है।
आंखों की जा सकती है रोशनी
होली खेलते समय आंखों का ध्यान रखना काफी जरूरी है। आंखों में चीनी व केमिकलयुक्त रंग जाने पर समस्या बढ़ सकती है। आंखों से रंग को हटाने के लिए आपको विशेष सावधानी की जरूरत होती है। आंखों में पड़े रंग निकालने के लिए पानी में आंख हल्के से डुबाना चाहिए। वहीं सिंथेटिक चीनी कलर आंखों की रोशनी जाने का भी कारण बन सकते हैं।

करें ये उपाय
जैविक रंगों का करें प्रयोग
एसआरवी अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. त्ान्वी भट्ट ने कहा कि होली सबसे पसंदीदा त्योहारों में से एक है, जिसमें लोग एक साथ आते हैं। लेकिन होली के रंगों के कारण कई स्वास्थ्य समस्या होने का खतरा रहता हैं। इनमें रंगों से राइनाइटिस भी होता है, जिससे नाक बहना, छींक आना, नाक बंद होना और यहां तक कि न्यूमोनाइटिस भी हो जाता है। होली खेलते समय जैविक रंगो का प्रयोग करना सुरक्षित हो सकता हैं।
स्किन और बालों पर लगाएं तेल
त्वचारोग विशेषज्ञ डॉ. सुरभी देशपांडे ने कहा कि होली के रंगों की वजह से कई लोगों को एलर्जी, चुभन और शरीर पर रेशेज होने लगते हैं। ऐसे में होली से पहले अपनी स्किन और बालों पर तेल लगाना चाहिए। होली के बाद कई लोगों को होंठ फटने की समस्या भी होने लगती है। संभव हो तो आप होली के ३-४ दिन बाद तक त्वचा पर किसी तरह का ट्रीटमेंट न लें, साथ ही होली से पहले ही ऐसा कोई ट्रीटमेंट नहीं लेना चाहिए।

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