सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबईकर इस साल भी गणेश चतुर्थी मनाने के लिए उत्साहित हैं, कोरोना महामारी के दो साल बाद अब गणेश भक्त इस त्यौहार का आनंद पूरी छूट के साथ उठा सकते हैं। भक्तों के उत्साह को देखते हुए मनपा भी गणपति बप्पा की इको- प्रâेंडली मूर्तियों पर जोर दे रही है। पिछले कुछ सालों में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियों के उपयोग को लेकर मनपा ने धीरे-धीरे पाबंदी बढ़ाई है तो दूसरी तरफ लोगों में भी पीओपी की मूर्तियों से होने वाले जल प्रदूषण के बारे में जागरूकता बढ़ी है, इसलिए शहर के कई भक्त कागज और मिट्टी जैसे पर्यावरण अनुकूल विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं और यहां तक कि घर पर ही अपनी मूर्तियां बना रहे हैं।
इस साल गणेश चतुर्थी ३१ अगस्त को मनाई जा रही है और यह अगले १० दिनों तक चलेगी। इस बीच पर्यावरण अनुकूल मिट्टी, कागज और फूलों की गणपति मुर्तियों को तवज्जो दी जा रही है। और मनपा ने भी लोगों से अपील की है कि लोग पर्यावरण अनुकूल गणपति की मूर्तियों का ही इस्तेमाल करें। जनता भी मनपा के इस अभियान को जमकर सहयोग दे रही है। लोग अब घर पर ही मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं। घरेलू मिट्टी की मूर्तियों से ही गणेश उत्सव का त्यौहार मनाने की लोगों ने योजना बनाई है। कुछ लोग ने डिमांड के अनुसार, गणेश भक्तों के घर जाकर मिट्टी की गणपति की मूर्ति बनाने का काम शुरू किया है। ऐसे ही बांद्रा के सुमित येमपले ने २०१४ में घर पर ही मूर्तियों को बनाना शुरू किया था। उन्होंने मूर्तियों के लिए मिट्टी बनाने के लिए कागज और भिगोई हुई मेथी से बने पेस्ट का इस्तेमाल किया था। अब वे दूसरों के लिए भी बाप्पा की मूर्ति बनाकर दे रहे हैं।