’नई भाजपा ने सरकार गठन के बाद से ही सबसे पहले अपनी पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को निपटाया, फिर अपने मित्र पक्षों के वोट बैंक को चुराने के मकसद से उन्हें निपटाने का प्रयास किया और अब तो उसकी महत्वाकांक्षा की हद हो गई है, जो खुद ही को जन्म देने वाले मातृ संगठन को ही निपटाने के सपने देख रही है।’
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां हैं ‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है’। इन दिनों यह पंक्तियां नई भाजपा पर शत-प्रतिशत लागू हो रही हैं। दिल्ली से छन-छनकर आ रही खबरों के अनुसार, प्रधानमंत्री के जी-७ की बैठक से स्वदेश लौटते ही नई भाजपा ने संघ को निपटाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। उस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को, जिसकी बदौलत भाजपा फर्श से अर्श तक पहुंची। अलबत्ता, जिसके माध्यम से ही भाजपा का जन्म हुआ। खुद प्रधानमंत्री मोदी को संघ के जरिए भाजपा में महत्वपूर्ण स्थान और पद मिला। आज नई भाजपा उस संघ को निपटाने के सपने देख रही है।
कहते हैं न कि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे इन्होंने ठगा नहीं। अर्थात, नई भाजपा ने सरकार गठन के बाद से ही सबसे पहले अपनी पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को निपटाया, फिर अपने मित्र पक्षों के वोट बैंक को चुराने के मकसद से उन्हें निपटाने का प्रयास किया और अब तो उसकी महत्वाकांक्षा की हद हो गई है, जो खुद ही को जन्म देने वाले मातृ संगठन को ही निपटाने के सपने देख रही है। सूत्रों का दावा है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि भाजपा पर संपूर्ण प्रभुत्व हासिल किया जा सके। उसे अपनी ढाल बनाया जा सके। उसे विपक्षियों पर राजनैतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।
संघ और कड़े तेवर अख्तियार न करे और अंधभक्तों में बनी नई भाजपा की झूठी छवि से पर्दा न हट जाए, इस डर से अब गुजरात लॉबी में मंथन तेज हो गया है। संघ को निपटाने की नीति पर ही काम शुरू हो गया है। सूत्रों का दावा है कि इससे पहले कि संघ भाजपा में अपनी मर्जी का अध्यक्ष बैठाए, फिर से चाल-चरित्र और चेहरे की नीति पर जोर दे, भाजपा का रिफॉर्म करे, बाहरी नेताओं की अंधाधुंध एंट्री और वॉशिंग मशीन मॉडल पर रोक लगाए, नई भाजपा संघ को ही बेहद कमजोर कर देना चाहती है। साथ ही वह सभी प्रयोग संघ के लिए करना चाहती है, जो संघ भाजपा पर करने का मन बना चुका है, ऐसा भी सूत्रों का कहना है। लिहाजा, आनेवाले समय में संघ और नई भाजपा में जबरदस्त टकराव देखने को मिले तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
अभी केंद्र में नरेंद्र मोदी को शपथ लिए एक सप्ताह भी नहीं बीता है कि सबसे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत, फिर संघ के वरिष्ठ नेता, थिंक टैंक इंद्रेश कुमार और संघ से जुड़ी पत्रिका ऑर्गेनाइजर ने एक के बाद एक भाजपा सरकार पर कड़े हमले किए हैं। उनके अति अहंकार को हार का कारण बताया है और उनकी सोच और नीतियों से किनारा कर लिया है। इससे नई भाजपा में भारी खलबली है।