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धाड़…धाड़… तिहाड़! … टिल्लू हत्याकांड ने बढ़ाया `वीआईपी’ टेंशन

गैंगवॉर का नया ठिकाना
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
९ जेलों पर आधारित नई दिल्ली की ‘तिहाड़ जेल’ दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा जेल परिसर है, जिसे मुख्यत: एक ‘सुधार घर’ के रूप में विकसित किया गया था। इसका उद्देश्य जेल के अधिवासियों को दस्तकारी का प्रशिक्षण तथा सामान्य शिक्षा देकर कानून के आज्ञाकारी नागरिक बनाना था, परंतु आज स्थिति बहुत बदल चुकी है तथा यह अपराधियों का सुधार घर न रह कर अपराधियों की शरणस्थली बन चुकी है। बता दें कि तिहाड़ जेल गैंगवॉर का नया ठिकाना बन गया है। यहां आए दिन धाड़…धाड़…सुनाई देता है। हाल ही में गैंगस्टर टिल्लू की हत्याकांड ने वीआईपी टेंशन बढ़ा दिया है। कांड ने सवाल खड़ा हो रहा है कि तिहाड़ में बंद राजनीतिक, आर्थिक, और अन्य मामलों में बंद हाई प्रोफाइल वैâदियों की सुरक्षा कहीं खतरे में तो नहीं है? अगर वीआईपी वैâदियों पर भी इसी तरह किसी ने हमला बोल दिया तो क्या होगा?
बता दें कि तिहाड़ जेल में गैंगवॉर का सिलसिला लंबे समय से जारी है तथा पिछले चंद वर्षों में इस जेल में गैंगवॉर की अनेक वारदातों में कई वैâदियों की मौत और कुछ जेल कर्मियों सहित अनेक लोग घायल हुए हैं। गौरतलब है कि२ जुलाई, २०२० को तिहाड़ जेल परिसर में बंद एक वैâदी ने अपनी एक रिश्तेदार से हुए बलात्कार का बदला लेने के लिए इसी जेल में बंद एक अन्य वैâदी की हत्या कर दी। १४ अप्रैल, २०२३ को ‘दिल्ली का दाऊद’ कहलाने वाले गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया पर गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के चहेते ‘रोहित मोई’ गैंग के गुर्गों ने छुरों से वार करके उसकी हत्या कर दी तथा ४ अन्य वैâदियों को घायल कर दिया। इसके अलावा २ मई को सुबह साढ़े ६ बजे तिहाड़ जेल में प्रतिद्वंद्वी गोगी गिरोह के ४ वैâदियों ने गैंगस्टर ‘टिल्लू ताजपुरिया’ की हत्या कर दी।
१३,००० कैदी हैं बंद
इस जेल में भी विभिन्न गिरोहों के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है। प्रारंभिक जांच में इस हत्या की साजिश में तिहाड़ जेल के चंद अधिकारियों की मिलीभगत का संदेह भी पैदा होता है। तिहाड़ जेल में लगभग सवा पांच हजार वैâदी रखने की क्षमता है, जबकि २० फरवरी, २०२३ के आंकड़ों के अनुसार, यहां इस समय १३००० कैदी बंद हैं। उल्लेखनीय है कि जब देश की सर्वाधिक सुरक्षित जेल कहलाने वाली तिहाड़ जेल में सुरक्षा का यह हाल है तो देश की दूसरी जेलों में सुरक्षा की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो जब तक तिहाड़ सहित अन्य सब जेलों में सुरक्षा प्रणाली अभेद्य नहीं बनाई जाती, तब तक उनमें अपराध होते ही रहेंगे। इसे रोकने के लिए प्रशासन को तिहाड़ व अन्य जेलों में वैâदियों की भीड़ कम करने, बुनियादी ढांचे की त्रुटियां दूर करने, वहां होने वाली अप्रिय घटनाओं के लिए स्टाफ की जिम्मेदारी तय करने और कर्त्तव्य निर्वहन में ढील बरतने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध भी उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
अभेद्य सुरक्षा प्रबंधों की अपेक्षा
दिल्ली सरकार के जेल विभाग के प्रबंध अधीन तिहाड़ जेल में हाई प्रोफाइल कैदी बंद होने के कारण यहां अभेद्य सुरक्षा प्रबंधों की अपेक्षा की जाती है। कहा जाता है कि अधिकारियों की अनुमति के बिना परिंदा भी वहां नहीं जा सकता पर सरकार के इन दावों को यहां होने वाली हिंसक घटनाएं झुठलाती हैं। सूत्रों की मानें तो अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण तो इसे ‘घूस महल’ तक का नाम दे दिया गया है, जहां खर्च करने पर सब कुछ उपलब्ध है और जेल में वैâदियों की भीड़ भी इस अव्यवस्था का एक बड़ा कारण है।

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