मुख्यपृष्ठस्तंभढाका टू मुंबई ...मुंबई के मतदाता भी हैं अवैध बांग्लादेशी

ढाका टू मुंबई …मुंबई के मतदाता भी हैं अवैध बांग्लादेशी

जय सिंह

तमाम एजेंसियां मिलकर भी घुसपैठ क्यों नहीं रोक पा रही हैं, इस सवाल पर यह कहना गलत नहीं होगा कि बांग्लादेशियों की घुसपैठ करानेवाला सिंडिकेट जांच एजेंसियों से बड़ा है। मुंबई की घाटकोपर पुलिस ने ४ जनवरी को कुल १३ बांग्लादेशियों को नालासोपारा के अचोले गांव से गिरफ्तार किया। दरअसल, ये सभी आरोपी एक आरोपी के रिश्तेदार हैं, जो एक साल पहले २४ परगना, पश्चिम बंगाल से होते हुए मुंबई में आकर रहने लगे थे। घाटकोपर के पुलिस इंस्पेक्टर रवि ठेंगले को एक बांग्लादेशी के होने की जानकारी मिली और उन्होंने डीसीपी विजय कांत सागर के नेतृत्व में उस घुसपैठिए को पकड़ लिया। उससे हुई पूछताछ के बाद पुलिस ने उसके १३ अन्य रिश्तेदारों की जानकारी पता कर उन्हें नालासोपारा से गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से बांग्लादेश के पासपोर्ट, आधार कार्ड और पहचान पत्र के साथ-साथ भारतीय आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक पास बुक, मैरिज सर्टिफिकेट सहित सात मोबाइल भी बरामद किया है। इसके साथ ही इनके सीडीआर की जानकारी लेने के बाद पता चला है कि ये बांग्लादेश के पिन कोड ००८८ पर सोशल मीडिया के अलग-अलग ऐप कॉलिंग सिस्टम के जरिए जुड़े हुए थे।
यही नहीं मुंबई के कुर्ला, मानखुर्द, गोवंडी, शिवाजी नगर, मुंब्रा, जोगेश्वरी, बांद्रा, मोहम्मद अली रोड, भायखला सहित राज्य के मालेगांव, अमरावती, मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र में बांग्लादेशी नागरिक बड़े पैमाने पर रहते आए हैं। हालांकि, पुलिस और एटीएस की कार्रवाई के बाद कई बांग्लादेशी परिवार इन इलाकों से गायब हो चुके हैं। एटीएस ने दिसंबर २०२४ से ५ जनवरी, २०२५ तक विभिन्न पुलिस स्टेशनों में १९ मामले दर्ज किए, जिनमें ४४ बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया, जो अवैध रूप से रह रहे थे। आलम यह है कि ये अवैध बांग्लादेशी मुंबई और आसपास के जिलों में रहते हुए स्थाई दिहाड़ी मजदूरी से लेकर मतदाता तक बन चुके हैं।
मुंबई में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों का मुंबई में रहने का ठिकाना पहले एंटॉप हिल का बंगालीपुरा, डोंगरी, नागपाड़ा, शिवडी, आरएके मार्ग, भायखला, दादर, मदनपुरा और मोहम्मद अली रोड हुआ करता था। लेकिन अब इनकी तादाद उत्तर मुंबई की ओर भी बढ़ती जा रही है। एटीएस सूत्रों ने बताया कि उत्तर मुंबई के बोरीवली, एमएचबी कॉलोनी का गणपत पाटील नगर, मालवणी का अंबुज वाड़ी और दहिसर इलाकों के स्लम्स में अवैध रूप से बांग्लादेशी नागरिक रहने लगे हैं। वहीं नई मुंबई में पनवेल, नेरुल और उरण आदि क्षेत्रों में १२ से १५ हजार बांग्लादेशी घुसपैठियों के रहने की बात कही जा रही है। २ जनवरी को नई मुंबई के पनवेल और ३ जनवरी को शिवाजी नगर में ७ बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए।
मुंबई के पूर्वी उपनगर के मुस्लिम बहुल इलाके गोवंडी, शिवाजी नगर, मानखुर्द, देवनार, चुनाभट्टी और घाटकोपर से पिछले १५ दिनों मे ३६ बांग्लादेशी घुसपैठियों को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनमें से कई घुसपैठिए १० से १५ सालों से मुंबई में रह रहे थे। पुलिस को उनके पास से बर्थ सर्टिफिकेट, आधार कार्ड और दूसरे डॉक्यूमेंट बरामद हुए।
ऑपरेशन बांग्लादेशी मामले की जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पकड़े गए बांग्लादेशी लोगों में से कई नागरिक तो एक दशक से भी अधिक समय से मुंबई में रह रहे हैं। इनके पास यहां रहने के लिए जरूरी दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदान कार्ड भी मौजूद हैं इसलिए ये लोग चुनाव में मतदान भी कर रहे हैं। कफ परेड से पकड़ा गया बांग्लादेशी मोईन शेख ३४ साल से मुंबई में रह रहा था। उसने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोट भी डाला था। पुलिस के लिए अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ना आसान नहीं होता है, क्योंकि इनके लिए दलालों का एक बड़ा गिरोह काम करता है जो इन घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल और असम के जरिए भारत लाकर देश के अलग-अलग शहरों में भेज देता है। एक अनुमान के मुताबिक, मुंबई और आसपास करीब सवा लाख से अधिक अवैध बांग्लादेशी रहते हैं, जबकि दिल्ली में इनकी संख्या छह लाख के करीब बताई जा रही है। हालांकि, इसका आधिकारिक डाटा नहीं मिल पाया है। वहीं महाराष्ट्र पुलिस ने निर्धारित अवधि से अधिक समय तक मुंबई में ठहरने वाले इन विदेशियों के लिए एक डिटेंशन सेंटर बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार के सामने रखा है, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण यह मामला लंबित है।

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