– लेकिन भाजपा और बसपा के विजय की राह कठिन हो गई!
मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
जौनपुर लोकसभा सीट के चुनाव में शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराने के लिए तथा पूर्व सांसद धनंजय सिंह का दखल कम करने हेतु उत्तर प्रदेश शासन ने आनन-फानन में शनिवार की सुबह जौनपुर से बरेली जेल में भेज कर राहत की सांस लिया था, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को ही दोपहर में धनंजय सिंह को जमानत दे दी है। अब जौनपुर लोकसभा का चुनाव बहुत रोचक हो जाएगा। हाई कोर्ट ने शनिवार को उनकी जमानत से जुड़ी याचिका पर दोपहर करीब 12 बजे अपना फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए उन्हें जमानत तो दे दी, लेकिन सजा पर रोक नहीं लगाई है। इस वजह से धनंजय सिंह अभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बता दें कि धनंजय सिंह को जौनपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्होंने कोर्ट इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में पिछले महीने याचिका दाखिल की थी। इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने 25 अप्रैल को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था।हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान धनंजय के वकीलों ने कहा था कि उनका मुवक्किल सियासी साजिश का शिकार हुआ है। अब शनिवार को कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए उन्हें जमानत दे दी है। हालांकि, हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, क्योंकि कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई है। कोर्ट ने पूर्व सांसद की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया है।
इससे पहले शनिवार की सुबह जौनपुर जेल से बरेली जेल शिफ्ट किया गया था। जौनपुर सीट से इस बार बीएसपी के टिकट पर धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि सपा से बाबू सिंह कुशवाहा और बीजेपी ने कृपाशंकर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। धनंजय के बाहर आने का मतलब कृपाशंकर सिंह की राजनैतिक सफलता की राह में कांटा आना।