राधेश्याम सिंह
विरार। डायलिसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है। इस डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति के किडनी यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं। गुर्दे से जुड़े रोगों, लंबे समय से मधुमेह के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में कई मरीजों को डायलसिस का खर्च महंगा पड़ता था। हर बार डायलसिस करने के लिए हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन अब वसई- विरार के रहिवासियों के लिए खास कर डायलिसिस मरीजों के लिए खुशखबरी है। अब उन्हें डायलिसिस के लिए मुंबई जैसे क्षेत्रों में जाना नहीं पड़ेगा।
स्वर्गीय तरामती व हरिश्चंद्र ठाकुर ट्रस्ट तथा तुलिंज एजुकेशन ट्रस्ट के माध्यम से यह डायलिसिस सेंटर 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर उद्घाटन किया गया । नालासोपारा-पूर्व स्थित केएमपीडी स्कूल में 10 बेड के इस डायलिसिस सेंटर का शुभारंभ किया गया है। युवा विकास आघाड़ी के अध्यक्ष सिद्धार्थ ठाकुर ने बताया कि यह डायलिसिस सेंटर नालासोपारा स्टेशन से नजदीक होने के कारण लोग डायलिसिस करवा कर अपने काम करने जा सकेंगे, या फिर अपने काम से लौटने के बाद भी अपने परिवार के बीमार सदस्य का डायलिसिस करवा सकेंगे, साथ ही ट्रस्ट की तरफ से इसका शुल्क मात्र 50 रुपए रखा गया है, जिससे आम जनता के जेबों पर खर्चा ना पड़े।
बता दें कि विरार में 21 डायलिसिस की मशीन शुरू है जो प्रतिदिन लगभग 63 लोगों को सुविधाएं प्रदान करती है और जब से इस ट्रस्ट के माध्यम से इस डायलिसिस सेंटर की शुरुआत की गई है तब से लगभग 80 हजार लोगों ने इसका लाभ उठाया है।