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अनर्थ : पवनहंस में लगेगा ताला! …चौथा खरीददार भी पीछे हटा, घाटे में है सरकारी कंपनी

हेलिकॉप्टर सेवा प्रदान करनेवाली कंपनी पवनहंस की एक समय तूती बोलती थी। मगर बुरे प्रबंधन के कारण कंपनी की हालत खराब होती चली गई। कई हेलिकॉप्टर्स के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इस कंपनी की साख खत्म होने के साथ ही कंपनी भारी कर्ज में डूब गई। इसके बाद सरकार ने इसे बेचने की कवायद शुरू की। एक के बाद एक खरीददार आते गए और सौदा होने के बाद टूटता गया। अब पवन हंस चौथी कोशिश में भी नहीं बिक पाई, जिसके बाद सरकार ने पवन हंस को बेचने का पैâसला रद्द कर दिया है। इसके बाद इस मामले के जानकार मान रहे हैं कि अब कंपनी पर ताला लगना तय है। यानी अब आने वाले दिनों से इस कंपनी में ताला लटक जाएगा। पवन हंस को खरीदने के लिए सबसे बड़ी बोली ‘स्टार-९ मोबिलिटी’ ने लगाई थी। लेकिन हाल ही में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की कोलकाता पीठ ने अल्मास ग्लोबल के खिलाफ पावर कंपनी ईएमसी लिमिटेड के अधिग्रहण पर एक आदेश दिया, जिससे बिक्री प्रक्रिया की पारदर्शिता पर असर पड़ा और सरकार को बिक्री प्रक्रिया को रद्द करना पड़ा। अब ‘स्टार-९ मोबिलिटी’ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। स्टार-९ मोबिलिटी ने घाटे में चल रही हेलिकॉप्टर फर्म में सरकार की ५१ फीसदी हिस्सेदारी के लिए २११ करोड़ रुपए से ज्यादा की बोली लगाई थी, लेकिन अब सरकार ने पवन हंस के रणनीतिक विनिवेश में मौजूदा ईओआई प्रक्रिया को रद्द करने की भी घोषणा की है। सरकार ने २९ अप्रैल, २०२२ को पवन हंस में सरकार की १०० फीसदी इक्विटी शेयरधारिता की बिक्री के लिए सफल बोलीदाता के रूप में महाराजा एविएशन, बिग चार्टर और स्टार९ मोबिलिटी को मंजूरी दे दी थी। पवनहंस में केंद्र सरकार की ५१ फीसदी हिस्सेदारी है, वहीं ओएनजीसी का ४९ फीसदी हिस्सा है। लंबे समय से घाटे में चल रही इस कंपनी को बेचने के फैसले के बाद साल २०१६ से अब तक इसकी बिक्री की चार कोशिशें की जा चुकी हैं। मगर हर कोशिश फेल हो गई।

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